मशहूर गीतकार, म्यूजिक कंपोजर आर डी बर्मन उर्फ पंचम दा का नाम शायद ही कोई भारतीय फिल्म प्रेमी ना जानता हो। भारतीय संगीत उनके दिए नगमों, उनके अनोखे अंदाज में दिए गए सभी योगदानों का ऋणी है। आज हम आपको उन्ही के बारे में 5 ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो शायद आपने न सुनी हों।
1) नौ साल की उम्र में ही कंपोज कर डाला पहला गाना
वो कहते हैं ना पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। राहुल देव बर्मन ने अपने म्यूजिक कंपोजर बनने के गुण बाल्यावस्था में ही दिखा दिए थे। नौ साल की छोटी उम्र में ही अपना पहला गाना “फिल्म “फंटूश” के लिए कंपोज कर दिया था।
2) अपने बाबा के लिए म्यूजिक करते थे कंपोज
“मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू”, “सर जो तेरा चकराए” और “कोरा कागज़ था ये मन मेरा” जैसे सुपरहिट गाने जिन्हे कंपोज करने का श्रेय उनके बाबा एस डी बर्मन को जाता है, वो असल में पंचम दा ने ही कंपोज किया था।
3) “पंचम” नाम की वजह
इस नाम के पीछे मशहूर कलाकार अशोक कुमार का हाथ था। वो हुआ यों कि अशोक कुमार अक्सर एस डी साहब से मिलने आया करते थे। राहुल जब छोटे थे, तो एक बार अशोक साहब उनके घर पहुंचे और पाया की अशोक कुमार उन्हें गाना सिखाने की कोशिश कर रहे हैं। सप्त स्वर सिखाने की कोशिश में जितनी बार भी वो “सा” गाते, उतनी बार राहुल “पा” स्वर गा देते। इससे सुनते हुए अशोक कुमार ने उनका नाम मजाक ही मजाक में “पंचम” रख दिया और उसके बाद वो इसी नाम से मशहूर हो गए।
4) बिना बाजे के बना लेते थे संगीत
पंचम दा सिर्फ म्यूजिक कंपोज करने के लिए ही नहीं, बल्कि नॉर्मल साउंड इफेक्ट का इस्तेमाल करके म्यूजिक बनाने के लिए भी मशहूर थे। कभी कंघी, कभी सैंड पेपर तो कभी झाड़ू जैसी अतरंगी चीजों से धुन बनाकर बड़े बड़े नगमों में इस्तेमाल किया और वो नगमे सुपरहिट भी हुए।
5) 18 बार नॉमिनेट हुए फॉर “बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर”
फिल्मफेयर की कैटेगरी के नॉमिनेशन में में उन्होंने 18 बार अपनी जगह बनाई बतौर म्यूजिक डायरेक्टर और तीन बार सफल भी हुए। फिल्मों के नाम “मासूम”, “सनम तेरी कसम” और “1942 a love story”।