केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से संबंधित दो विधेयकों पर चर्चा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर ‘दो बड़ी ग़लतियां’ करने का आरोप लगाया हैं। लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पर बहस हो रही थी, तभी जवाहरलाल नेहरू पर अमित शाह की टिप्पणी के दौरान विपक्षी नेताओं ने सदन से वॉकआउट कर लिया।
केंद्रीय मंत्री ने अपने भाषण में जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवादी घटनाओं का ज़िक्र भी किया। उन्होंने कहा कि, “दो बड़ी ग़लतियां (Ex PM) पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में उनके लिए हुए निर्णयों से हुईं, जिसके कारण कश्मीर को कई वर्षों तक नुकसान उठाना पड़ा।
“पहला है, जब हमारी सेना जीत रही थी तब युद्धविराम की घोषणा करना। सीज़फायर लगाया गया, अगर तीन दिन बाद सीज़फायर होता तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर आज भारत का हिस्सा होता। दूसरा है अपने आंतरिक मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना”।
जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान द्वारा कब्जा करने के लिए जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहराते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने 6 दिसंबर को कहा था कि, पूर्व प्रधान मंत्री के कारण कश्मीर को वर्षों तक पीड़ा झेलनी पड़ी। अमित शाह के बयान पर लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि, इस मामले पर पूरे दिन सदन में चर्चा होनी चाहिए, यह कोई छोटी बात नहीं है।
भारत का इतिहास सिर्फ अमित शाह ही नहीं जानते, और लोग भी जानते होंगे। देश की जनता को पता चलना चाहिए। अधीर रंजन ने कहा कि, जब 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाया गया था, तो अमित शाह ने कहा था कि गुलाम जम्मू-कश्मीर को वापस लाया जाएगा। पीएम मोदी को सत्ता में आए 10 साल हो गए हैं। अटल बिहारी वाजपेयी छह साल तक सत्ता में थे। तो, भाजपा को कौन रोक रहा है? 2024 के चुनाव से पहले गुलाम जम्मू-कश्मीर को वापस ले लीजिए।