उत्तर प्रदेश के बांदा की सिविल जज ने सर्वोच्चय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से इच्छाा मृत्यु की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि, बाराबंकी में ड्यूटी के दौरान जिला जज द्वारा उनके साथ शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना की गई है। इतना ही नहीं,बल्कि जिला जज द्वारा रात में मिलने का भी दबाव बनाया गया। पीड़िता ने जिला जज के खिलाफ शिकायत की थी। लेकिन इस बात पर कोई सुनवाई नहीं कि गई सुनवाई न होने से निराश सिविल जज ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्यक न्या याधीश को पत्र लिखकर अब इच्छात मृत्यु की मांग की है।जिसमें सिविल जज ने दो पेज का भारी पत्र लिखा जो गुरुवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
सिविल जज ने लिखा पत्र
पत्र में लिखा कि वह बेहद में यह पत्र लिख रही हु। मेरा यौन उत्पीड़न किया गया है। मेरे साथ बिल्कुल कूड़े जैसा व्यवहार किया गया है। मैं एक अवांछित कीट की तरह महसूस करती हूँ। और मुझे दूसरों को न्याय दिलाने की आशा है।’ उन्हों ने लिखा’ इस पत्र का मेरी कहानी बताने और प्रार्थना करने के अलावा कोई और उद्देश्य नहीं है। महिला जज ने आरोप लगाया कि उन्हेंक रात में अपने वरिष्ठ से मिलने के लिए कहा गया था। उन्होंने दावा किया कि उन्हों ने आत्महत्या करके मरने की कोशिश की थी, लेकिन प्रयास सफल नहीं हुआ। उन्होंने लिखा- ‘मुझे अब जीने की कोई इच्छा नहीं है। पिछले डेढ़ साल में मुझे चलती-फिरती लाश बना दिया गया है। मेरी जिंदगी का कोई मकसद नहीं बचा है। कृपया मुझे अपना जीवन सम्मानजनक तरीके से समाप्त करने की अनुमति दें। मेरी जिंदगी खारिज कर दी जाए। उन्होंने भारत में कामकाजी महिलाओं से सिस्टम के खिलाफ लड़ने का प्रयास न करने को कहा।
बहुत उत्साह के साथ हुई थी शामिल
महिला जज ने लिखा- मैं बहुत उत्साह और इस विश्वास के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई थी कि मैं आम लोगों को न्याय दिलाऊंगी। मुझे क्या पता था कि मैं जिस काम के लिए जा रही हूं, वहां पर मुझे अपने लिए ही न्याय का भिखारी बना दिया जाएगा। उन्हों ने लिखा- मेरी सेवा के थोड़े से समय में ‘ मुझे खुले दरबार में मंच पर दुर्व्यवहार सहने का दुर्लभ सम्मान मिला है।’ छह महीने पहले अपनी पिछली पोस्टिंग में अपने वरिष्ठ पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए, महिला ने सीजेआई को लिखा कि उन्हें निष्पक्ष जांच मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। तो फिर न्याय तो दूर की बात है।
आम जनता का क्या होगा?
सिविल जज द्वारा लिखे पत्र को लेकर तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं। पत्र में महिला जज ने लिखा है कि एक जज होने के बावजूद जब मुझे न्याय नहीं मिल रहा है तो आम जनता का क्या होगा। क्योंकि, सवाल ये भी हो रहा दूसरों को न्याय देने वाले जज को ही जब न्याय नहीं मिल रहा है तो फिर आम जनता को कैसे न्याय मिलेगा ।
वर्ष 2019 में बनी सिविल जज
न्यायालय में कार्य कर रही महिला जज लखनऊ की रहने वाली है। वर्ष 2019 में वह जज बनी थीं। जिसके बाद उनकी पहली पोस्टिंग बाराबंकी में हुई थी। इसके बाद मई 2023 में उनका ट्रांसफर बांदा में हुआ था। इसके बाद से वह उसी जगह पर कार्य कर रही है।