धार। मध्यप्रदेश के धार जिले की कुक्षी तहसील के ग्राम पाडलिया में एक ऐसा अनोखा मामला सामने आया है। जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। यहां के पाडलिया गांव में लोगों ने गलतफहमी में डायनासोर के अंडों की पूजा शुरू कर दी है। गांव के 40 वर्षीय वेस्ता मंडलोई को भी खुदाई के दौरान एक गोलाकार पत्थरनुमा आकृति वाली वस्तु मिली थी। उन्होंने इसे अपने पूर्वजों के कुलदेवता के रूप में माना। इसे वे अपना कुलदेवता कक्कड़ भैरव मानते हुए पूजने लगे, लेकिन वो असल में डायनासोर के अंडे निकले।
सालों से ग्रामीण कर रहे थे पूजा
गांव वाले इन गोल पत्थरों को भैरव देवता मानकर बरसों से इनकी पूजा करते रहे। अंडों की पहचान होने के बाद प्रशासन आगे की जांच की जा रही है। पहले भी इस जगह से डायनासोर के 256 अंडे मिल चुके हैं। जिनका आकार लगभग 15 से 17 सेंटीमीटर के बीच है। बरसों से यहां वैज्ञानिक जांच पड़ताल में लगे हुए हैं। ये इलाका ही डायनासोर के अंडे मिलने के लिए जाना जाता है।
भैरव देवता मानते थे लोग
इस पूरे घटनाक्रम का खुलासा होने के गांव के ही एक शख्स जिनका नाम वेस्ता मंडलोई है उन्होंने बताया कि इन गोलाकार पत्थर जैसी वस्तु को काकर यानी खेत का भैरव देवता के रूप में पूजा करते हैं। उनके घरो में यह परंपरा पूर्वजों के दौर से चली आ रही है। जिसका सभी ग्रामीण अपने अपने क्षेत्र में पालन करते रहे हैं। लोगों का ऐसा मानना है की कुल देवता उनकी खेती और मवेशियों के साथ उनकी भी रक्षा करते हैं और हर विपरीत विपत्ति से उन्हें बचाते हैं।
अब तक 256 अंडे मिल चुके
आपको बता दें की पाडलिया सहित कुक्षी तहसील का यह क्षेत्र डायनासोर के अंडों के लिए जाना जाता है और पूर्व में भी यहां से डायनासोर के 256 अंडे मिल चुके हैं। जिनका आकार लगभग 15 से 17 सेंटीमीटर का बताया जाता है, जिसको लेकर वर्षों से यहां पर वैज्ञानिक जांच पड़ताल में लगे हुए हैं।
प्रशासन की लापरवाही
वहीं इस क्षेत्र में इस तरह की गोल आकृति जिसे डायनासोर के अंडे के रूप में माना जा रहा है। यहां वहा बिखरी पड़ी ग्रामीणों को मिलती रहती है। जिसको लेकर प्रशासन की ओर से कोई पुख्ता सुरक्षा इंतजाम नहीं है ना ही इस क्षेत्र को संरक्षण करने को लेकर कोई ठोस कदम अब तक उठाए गए। बाग के पास डायनासोर के अंडों की जो साइट हैं। उसका सीमांकन किया जा चुका है और यहां डायनासोर पार्क बनना है। किन्तु अभी तक स्थितियां जस की तस हैं।