देश में लोकसभा चुनाव के मतदान शुरू हो चुके है। इसी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) को एक याचिका दी है। उस याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने ECI से अपील की है कि, मतदान की गिनती चुनी हुई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के साथ-साथ मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के साथ की जाए। अभी तक लोकसभा सीट के हर एक विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ पांच चुनी हुई EVM के मतदानों को VVPAT पर्चियों की गिनती के माध्यम से वेरिफाई किया जाता है।
यह याचिका कर्नाटक स्थित वकील और कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल ने वकील नेहा राठी के माध्यम से दायर की थी। जिसके बाद 1 अप्रैल को जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने ECI को नोटिस जारी किया और याचिका को EVM और VVPAT से संबंधित दूसरे लंबित मामलों के साथ टैग कर दिया। याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की है कि हर एक EVM वोट का मिलान VVPAT पर्चियों से हो। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने यह भी अपील की है कि मतदाताओं को VVPAT से उत्पन्न पर्चियों को मतपेटी में खुद से डालने की अनुमति दी जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदाता का ही मत रिकॉर्ड के रूप में गिना गया है।
याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग के दिशानिर्देश को चुनौती भी दी है, जिसमें उन्होंने VVPAT वेरिफिकेशन को क्रमिक रूप से आयोजित करने की मांग की है, ताकि वोटों की गिनती में अनुचित देरी नहीं हो। याचिका में यह तर्क भी दिया गया है कि अगर एक साथ वोटों का वेरिफिकेशन किया जाए और हर एक विधानसभा क्षेत्र में गिनती के लिए अतिरिक्त अफसरों को तैनात किया जाए तो 5-6 घंटे के अंदर ही पूरा VVPAT वेरिफिकेशन हो पाएगा। याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि सरकार लगभग 24 लाख VVPAT की खरीदी पर लगभग ₹5,000 करोड़ रुपए खर्च करती है, लेकिन इसके बावजूद केवल 20,000 VVPAT पर्चियों का ही वेरिफिकेशन किया जाता है।
इस याचिका का विरोधी पार्टियां भी खूब समर्थन कर रही हैं। कांग्रेस का कहना है कि, इसका अनुपालन लोकसभा चुनाव के पहले हो जाना चाहिए। VVPAT लागू हो जाने से चुनावी मतदानो में होने वाली फेरबदल में रोक लग जायेगी। दरअसल, मतदाताओं को VVPAT वोट देने पर मतदाता को एक स्लिप मिलती है जिसके जरिए मतदाता यह सुनिश्चित कर सकता है कि उसका वोट उसके ही पसंद के उम्मीदवार के लिए दर्ज हुआ है या नहीं।
पिछले कुछ समय चुनाव में हो रहे EVM घोटाले की बात चल रही है। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि, सरकार EVM में घोटाला करती है जिस वजह से वह बार-बार चुनाव जीत रही है। ऐसे में अगर चुनाव में VVPAT तकनीक का इस्तेमाल होता है, तो EVM घोटाले की होने वाले आशंका पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।