जरा सोचिए कि आप उम्रभर अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अपनी कमाई से पाई-पाई जोड़कर उन्हें विदेश भेजते हो और वहां से आपको उनकी मौत की खबर का कॉल आता हैं। ऐसे में शायद आप भी अपने होश-ओ-हवास खो बैठेंगे। इसी स्थिति में हैदराबाद का एक परिवार है। मोहम्मद सलीम को कुछ दिन पहले एक कॉल आया था कि, उनका बेटा अब्दुल अर्फथ अब इस दुनिया नहीं रहा है।
अब्दुल अर्फथ जो मात्र 25 वर्ष का था, वह अब इस दुनिया में नहीं रहा। अब्दुल अमेरिका के Cleveland State University में मई, 2023 से अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था। अब्दुल 7 मार्च 2024 को अचानक लापता हो गया था। इस बात की खबर अब्दुल के एक दोस्त ने पिता सलीम को दी थी। 19 मार्च को सलीम को एक कॉल आया था, जिसमें उन्हें अब्दुल की अपहरण की खबर मिली थी। कॉल ड्रग्स बेचने वाली गैंग की ओर से था, जिसमें गैंग ने सलीम से अब्दुल की सही-सलामत रिहाई के लिए 1 लाख रुपयों की फिरौती की मांग की। ऐसा न करने पर सलीम को गैंग की ओर से अब्दुल की किडनी बेचने तक का हवाला मिला।
पूरे 3 हफ्तों तक अब्दुल लापता रहा। लेकिन इतने समय में भी अमेरिकी पुलिस उसे ढूंढने में बुरी तरह से असफल रही थी। या ये भी कहा जा सकता है कि, पूरे 3 हफ्तों की कड़ी मेहनत के बाद अमेरिकी पुलिस आखिरकार अब्दुल का शव ढूंढ पाई। अब्दुल की मौत की खबर भारतीय दूतावास ने अपने X पोस्ट के जरिए दी थी। साथ ही में पोस्ट में अब्दुल के गुनाहगारों को जल्द से जल्द ढूंढने का आश्वासन भी दिया गया है।
यह कोई पहला मामला नहीं है जब अमेरिका में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की इस तरह हत्या हुई हो। 2024 के चार महीने पूरे भी नहीं हुए हैं और इस मामले के साथ भारतीय छात्रों के मौत के कुल 11 मामले हो गए हैं:
- उमा सत्य साई गड्डे: पिछले सप्ताह Cleveland University में ही पढ़ रहे उमा सत्य साई गड्डे की भी रहस्यमय परिस्थितियाँ में मौत हुई। इस मामले की जांच अभी भी जारी है, पर अभी तक मामले में कुछ भी पता नहीं चल पाया है।
- अमरनाथ घोष: 2 मार्च को भारतीय नर्तक अमरनाथ घोष की एक हमलावर ने गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना सेंट लुइस, मिसौरी में हुई थी। इस मामले की भी जांच जारी है।
- परुचुरी अभिजीत: 20 साल के परुचुरी अभिजीत का शव 11 मार्च को जंगल में एक कार के अंदर से पाया गया था। अभिजीत के परिवार का आरोप हैं कि उसकी हत्या हुई है, लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने इन दावों को नकार दिया है।
- वेंकटरमण पित्तल: 27 वर्षीय वेंकटरमण पित्तल की 9 मार्च को एक जेट स्की टक्कर में मौत हो गई।
- समीर कामथ: 23 वर्षीय भारतीय मूल के समीर कामथ 5 फरवरी को इंडियाना के विलियम्सपोर्ट ग्रोव के जंगल में मृत पाया गया था। हालांकि, बाद में जांच में यह दावा किया गया कि समीर की मौत खुद के सिर पर मारी गई गोली से हुई है।
- विवेक तनेजा: विवेक तनेजा छात्र नहीं थे लेकिन 2 फरवरी को वाशिंगटन में उनके ऊपर हुए हमले के कुछ दिनों बाद, उनकी मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक, विवेक की एक व्यक्ति के साथ बहस हो गई थी, जिसके बाद मारपीट में उनकी मौत हो गई। पुलिस को आरोपी की पहचान हो गई थी, लेकिन अभी तक वह आरोपी को पकड़ नहीं पाए है।
- विवेक सैनी: 16 जनवरी को विवेक सैनी की एक बेघर नशेड़ी ने चाकू से 50 बार हमला करके हत्या कर दी थी। विवेक अपनी MBA की पढ़ाई कर रहे थे और साथ ही में अपना खर्चा निकालने के लिए पार्ट टाइम जॉब किया करता था।
- श्रेयस रेड्डी बेनिगेरी: 1 फरवरी को श्रेयस रेड्डी बेनिगेरी की हत्या की खबर सामने आई थी। श्रेयस की भी हत्या रहस्यमय तरीके से हुई थी। भारतीय दूतावास के अनुसार मामले की जांच चल रही है, लेकिन अभी तक किसी भी तरह की गड़बड़ी की आशंका सामने नहीं आई है।
- अकुल बी. धवन: 1 फरवरी को भारतीय दूतावास ने कहा था कि, University of Illinois Urbana-Champaign में 18 वर्षीय अकुल बी. धवन हाइपोथर्मिया के लक्षणों के साथ मृत पाया गया था। वह 20 जनवरी को कुछ घंटों के लिए लापता हो गए थे और 10 घंटे बाद ही विश्वविद्यालय परिसर के पास से उनका शव बरामद किया गया था।
- जी. दिनेश और निकेश: 15 जनवरी को, भारतीय मूल के छात्र जी. दिनेश और निकेश अपने कनेक्टिकट आवास में मृत पाए गए थे। इनकी मौत का कारण भी अभी तक पता नहीं चल पाया है।
विवेक सैनी की हत्या के बाद अमेरिका के झूठे वादे
विवेक सैनी की हत्या के बाद जॉन किर्बी जो सामरिक संचार के समन्वयक है, उन्होंने कहा था कि, अमेरिका इस मामले में काम करेगा और भविष्य में ऐसे मामले न हों इसका प्रयास करेगा। अमेरिका में किसी भी प्रकार का नस्ल, लिंग या धर्म पर हो रहे अपराध बिल्कुल अस्वीकार्य है। इसके अलावा एक महीने पहले भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने भी अमेरिका में भारतीय छात्रों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है। लेकिन क्या वाकई में अमेरिका अपने इन बयानों और दावों में अमल कर पाएगा? विवेक सैनी के बाद अब तक 7 और भारतीय मूल के लोगों की हत्या हो चुकी है। कमाल की बात है कि, जो अमेरिका दूसरे देश यानी कनाडा में “हरदीप सिंह निज्जर” जैसे आतंकी की हत्या पर शोक माना रहा है और भारत पर दूसरे देशों में लोगों की हत्या करने का आरोप लगा रहा है, वह अपने ही गिरेबां में झांकने में असफल रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक 2018 से 2022 तक अमेरिका में करीबन 400 से ज्यादा भारतीय मूल के लोगों की मौत हुई है। इनमें अधिकतम मामले नस्लभेद के चलते हुए हैं।
क्या ड्रग्स भी है एक मुख्य कारण?
“टीम एड” नाम का एक संगठन है जो विदेशों में संकट की स्थिति में व्यक्तियों की सहायता करने के लिए समर्पित रहता है। “टीम एड” ने एक रिपोर्ट तैयार की है। उस रिपोर्ट में उन्होंने ने बताया है कि, पूरे अमेरिका में नशीली दवाओं का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि, भारतीय छात्रों के नशीली दवाओं के अधिक मात्रा में सेवन के कारण मौत के कई मामले भी सामने आए हैं।
अमेरिका ने कुछ समय पहले एक रिपोर्ट साझा की थी, जिसमें उसने बताया है कि वर्तमान समय में 2,69,000 भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक साल में इन आंकड़ों में करीबन 33% बढ़ोतरी आई है। इस हिसाब से अमेरिका की अर्थव्यवस्था में भारतीय छात्रों का एक बहुत बड़ा हाथ है। इसके बावजूद भारतीय छात्रों के साथ हो रहे इस प्रकार के मामले, अमेरिका की अकृतज्ञ प्रवृत्ति को दर्शाता है।