हर साल 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती मनाई जाती है। आज हम डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की 133 वीं जयंती मना रहे हैं। इस दिन को अंबेडकर जयंती या भीम जयंती के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही उन्हें भारतीय संविधान का जनक भी कहा जाता है। इसके अलावा बाबासाहेब ने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके जीवन को जानने पर पता चलता है कि, भीमराव अंबेडकर अध्ययनशील और कर्मठ व्यक्ति थे।
बता दें कि, इस साल डॉ. भीमराव अंबेडकर 14 अप्रैल को 133 वीं अंबेडकर जयंती मनाई जा रही है। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू जिले में हुआ था। 9 दिसंबर 1956 को उन्होंने मुंबई में अपनी आखरी सांस ली थी। वो देश के पहले कानून मंत्री थे। बॉम्बे विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन के बाद अंबेडकर ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की थी। राजनेता के साथ-साथ अंबेडकर अर्थशास्त्री, प्रोफेसर, और वकील भी थे। उन्होंने हमेशा दलितों के अधिकार और सामिजक स्वतंत्रता की वकालत की। बाबा साहेब अंबेडकर की जन्म भूमि उनसे प्रेरणा लेने वालों के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है और पूरे साल यहां लोग उन्हें नमन करने आते हैं।
डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म महार जाति में हुआ था जो कि अछूत जाति मानी जाती थी। महार लोग गरीब होते थे, उनके पास जमीन नहीं होती थी और उनके बच्चों को भी वही काम करना पड़ता था जो वे ख़ुद करते थे। इतना ही नहीं बल्कि उन्हें गांव के बाहर रहना पड़ता था और गांव के अंदर आने की इजाजत नहीं थी।
डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के जीवन से जुड़ी कुछ बातें
- साल 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद, डॉ. भीमराव अंबेडकर देश के पहले कानून मंत्री बने थे।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने भगवान बुद्ध की खुली आंखों वाली पेंटिंग बनाई थी। उससे पहले दुनिया भर में अधिकतर सभी मूर्तियों की आंखें बंद होती थीं।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर 64 विषयों में मास्टर थे। उन्हें हिंदी, पाली, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, मराठी, फारसी और गुजराती जैसी 9 भाषाओं का ज्ञान था।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने देश में लेबर कानून से जुड़े कई बड़े बदलाव किए थे। उन्होंने साल 1942 में भारतीय श्रम सम्मेलन के 7वें सत्र में काम के घंटों में बदलाव किया था।