पिछले कुछ समय से देश में आए दिन नक्सलियों के एनकाउंटर और आत्मसमर्पण की खबरें आ रही हैं। अमित शाह ने अपने चुनाव अभियान में वादा भी किया था कि अगले 3 साल में भारत नक्सल मुक्त देश बन जाएगा। इस वादे को सच साबित करते हुए पिछले शुक्रवार को 12 नक्सलियों का एनकाउंटर की खबर भी सामने आई थी। इस खबर के सामने आने के बाद जनता भी अमित शाह और भाजपा की सरहाना करने लगी थी। लेकिन अब इस मामले में नए पहलू सामने आए हैं।
सबसे पहले बता दे कि, पिछले शुक्रवार छत्तीसगढ़ के बीजापुर से पुलिस द्वारा 12 नक्सलियों के एनकाउंटर की खबर सामने आई थी। लेकिन इस खबर के दो दिन बाद ही बीजापुर के नागरिकों और कार्यकर्ताओं की ओर से नए दावे सामने आए हैं । उन्होंने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने के आरोप लगाए हैं। उनके मुताबिक, 10 मई को हुआ बीजापुर एनकाउंटर फर्जी था और उसमें मारे गए लोग असल में गांव के नागरिक ही थे, जिन्हें पुलिस ने नक्सली करार कर दिया था।
उनके बयान के मुताबिक, उनके पति और बेटे 10 मई की सुबह जंगल में तेंदूपत्ता इकट्ठा करने गए थे। उसी समय पुलिस आयी और उन पर गोलियों से हमला कर दिया। इतना ही नहीं बलिक इसके अलावा, उनके शव अभी तक उनके परिवार को नहीं मिले हैं। इसी मामले में गांव से 30 प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के खिलाफ जिला मुख्यालय तक मार्च भी किया था। मार्च के दौरान 30 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिन में से 25 को रिहा किया गया था और बाकी के 5 हिरासत में ही थे।
इस मार्च के बावजूद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पुलिस के इस एनकाउंटर की सराहना की थी। वहीं पुलिस का अपने बचाव में कहना है कि, वह असली नक्सली ही थे जो पुलिस से बचने के लिए गांववालों के भेष में थे।
इस साल 104 नक्सली एनकाउंटर में मारे गए हैं। पिछले आंकड़ों के मुताबिक यह अब तक का अधिक आंकड़ा रहा है। जैसे की पहले बताया गया है कि, अमित शाह ने वादा किया है अगले 3 साल में भारत को नक्सली मुक्त देश बनाने का। शाह के इस बयान और गांववालो के इस दावे से कई सवाल उठ रहे हैं। जैसे की क्या अपने दावे को सही साबित करवाने के लिए सरकार पुलिस पर राजनीतिक दवाब डाल रही हैं?