मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। रीवा ‘Ultra Mega Solar Plant’ विश्व की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाओं में से एक है जिसे America कि, सबसे पुरानी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने एक केस स्टडी के रूप में शामिल किया है। यह परियोजना मध्य प्रदेश की ऊर्जा क्षमता को नहीं बल्कि भारत में विश्व स्तर पर भी पहचान दिला रही है। सीएम मोहन यादव ने कहा कि, दूसरी ओर ओंकारेश्वर में प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी पर दुनिया की सबसे बड़ी 600 मेगावाट क्षमता की फ्लोटिंग सोलर परियोजना भी विकसित की जा रही है।
कैसे हुई सोलर पॉवर की शुरुआत?
भारत सरकार ने साल 2014 में सोलर पार्क योजना की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य सोलर पॉवर को बढ़ावा देना था। इस योजना में 500 मेगावाट क्षमता से ज्यादा की सोलर परियोजनाओं को सोलर पार्क में शामिल किया गया और उन्हें अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क नाम दिया गया। इस केस स्टडी में बताया गया कि, भारत में 4 लाख 67 हजार वर्ग मीटर बंजर भूमि आंकी गई है। इसका उपयोग सोलर प्लांट लगाने में किया जा सकता है। जिसके बाद मध्यप्रदेश में 1579 हेक्टेयर जमीन का आकलन किया गया, जिसमें 1255 हेक्टेयर बंजर जमीन सरकारी और 384 हेक्टेयर प्राइवेट जमीन शामिल है। इस प्रकार रीवा सोलर अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट बनने की शुरुआत हुई। इसके बाद राज्य सरकार ने अप्रैल 2015 में रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट की स्थापना करने का आदेश दिया। जिसके बाद रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड की स्थापना हुई, जिसमें म.प्र. ऊर्जा विकास निगम और SICI के साथ 50 -50 प्रतिशत का जॉइंट वेंचर स्थापित किए गए। इसके बाद बड़वार, बरसेटा देश, बरसेटा पहाड़, इतर पहाड़, रामनगर पहाड़ और भी कई गांवों में 981 हेक्टेयर जमीन का आवंटन हुआ। वर्ष 2018-19 तक और भी गांव में उपलब्ध बंजर जमीन को परियोजना के लिए आवंटित किया गया जो कि, जनवरी 2020 में पूरी तरह से व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो गया।
अगले साल यानी 2025 तक सभी सरकारी भवनों पर सोलर रूफटॉप
रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर प्लांट सिर्फ़ आकार में ही बड़ा नहीं है बल्कि विश्व में सबसे सस्ती दर पर व्यावसायिक उर्जा उत्पादन करने वाला प्लांट भी है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि, 2025 तक प्रदेश के सभी सरकारी भवनों पर सोलर रूफटॉप लगाए जाएंगे। ओंकारेश्वर में 600 मेगावॉट क्षमता की फ्लोटिंग सोलर परियोजना विकसित की जा रही है। प्रदेश में 7,500 मेगावॉट सौर ऊर्जा और 3,000 मेगावॉट पवन ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है। नवीकरणीय ऊर्जा के प्रोत्साहन के लिए नर्मदापुरम में 464.65 करोड़ रुपए की लागत से एक मैन्युफैक्चरिंग जोन स्थापित किया जा रहा है, जहां भूमि, विद्युत और जल दरों पर विशेष छूट दी जा जाएगी।
37 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन
बिजली का उत्पादन कुल 750 मेगावाट क्षमता के इस प्लांट में अब 37 लाख यूनिट बिजली प्रतिदिन बनती है। प्रतिदिन उत्पादित 37 लाख यूनिट बिजली में से 24 प्रतिशत दिल्ली मेट्रो के संचालन के लिए सप्लाई की जाती है। इस प्लांट के महत्व इसी से पता चलता है कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इनोवेशन बुक में शामिल है।
क्या है हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का इतिहास ?
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका के मैसाचुसैट्स शहर के कैंब्रिज में स्थित एक निजी यूनिवर्सिटी है, जो इवी लीग का सदस्य है। इसकी स्थापना 1636 में औपनिवेशिक मैसाचुसैट्स कानून के तहत हुई थी। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका में उच्च शिक्षा का सबसे पुराना संस्थान है और वर्तमान में इसकी दस शैक्षणिक ईकाईयां हैं। 2010 में इस यूनिवर्सिटी में 2100 से अधिक फैकल्टी सदस्य हैं और इसके डिग्री प्रोग्राम में हर वर्ष 21000 छात्र एडमिशन लेते हैं। शुरुआत में इस यूनिवर्सिटी को ‘The College of New Town’ के नाम से जाना जाता था। फिर 13 मार्च 1639 को इसका नाम बदलकर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी रखा गया। यह नाम John Harvard के नाम पर रखा गया था जिसने संस्थान को सुचारू रूप से चलाने के लिए चार सौ किताबों वाले एक पुस्तकालय सहित 779 डॉलर की राशि दान में दी थी। पहली बार मैसाचुसैट्स के संविधान-1780 में हार्वर्ड के साथ यूनिवर्सिटी शब्द जोड़ा गया। हार्वर्ड, Gates Foundation के बाद सबसे अधिक पैसे वाला यह गैर-लाभकारी संस्थान है। जिसके पास सितंबर-2009 में 26 अरब डॉलर की संपत्ति थी।