उत्तर प्रदेश के रहने वाले अमित चौधरी 18 साल के थे जब से उन पर एक ऐसे अपराध में फंस गए, जो इन्होंने कभी किया ही नहीं था, अमित चौधरी पर हत्या करने का आरोप लगा था। साल 2011 में उन्हें मेरठ में दो कांस्टेबलों की हत्या के मामले में फंसाया गया था और गैंग्स्टर होने का गलत आरोप लगाया गया था। इसके बाद से उनका पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था।
यह घटना शामली की है, वहां अमित की बहन का ससुराल था और घटना के वक्त वो अपनी बहन के घर आए हुए थे। इस हत्या को कैल गैंग नाम के एक गिरोह ने अंजाम दिया था। कुल 17 आरोपी थे और इनमें से एक नाम अमित था। जांच में इस अमित को वो वाला अमित समझ लिया गया और बेकुसूर अमित को गैंग का सहयोगी मानकर दो साल के लिए जेल में रहना पड़ा। उन पर IPC और NSA के तहत आरोप लगाए गए थे। हलांकि, अमित ने हार नहीं मानी और लगातार खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए तरीके सोचते रहे।
जेल से निकलते ही पहले अमित ने ग्रेजुएशन पूरी की, फिर Law, BA और LLM. Law के बाद अमित ने अपने केस की पैरवी खुद करते हुए आखिरकार माथे पर लगा दाग मिटा दिया। अमित को सितम्बर 2023 को अदालत ने दोष मुक्त करार दिया। साल 2013 में जमानत पर रिहा हुए अमित ने अपने उपर लगे दाग को मिटाने के लिए एक दृढ़ यात्रा शुरू की। कलंक से ऊपर उठकर, उन्होंने खुद को कानून के अध्ययन में शामिल कर लिया। कानूनी ज्ञान से लैस होकर, उन्होंने अपने केस की जिम्मेदारी स्वयं संभाली। अमित कहते हैं कि वो एक समय वकील के रुप में कोर्ट रुम में मौजूद थे जब एक अधिकारी गवाह बॉक्स में खड़े थे, फिर भी वह मुझे पहचान नहीं सके थे।
अदालत ने अमित सहित 13 व्यक्तियों को बरी कर दिया। अमित कहते हैं कि, उनका सपना सेना में शामिल होने का था। 2011 में इसे लेकर वो तैयारी कर रहे थे, अमित कहते हैं कि अब वो आपराधिक न्याय में PHD करना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि भगवान ने अन्य दुर्भाग्यशाली लोगों के लिए लड़ने के लिए चुना है। अमित भविष्य में प्रोफेसर बनना चाहते हैं।