आज बांग्लादेश से भारत मे घुसपैठ देश के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। बांग्लादेश में जारी उपद्रव के बाद पलायन का दौर फिर शुरू हुआ है। ऐसे में बंगाल, झारखंड और असम सहित नॉर्थ ईस्ट के कई राज्य बांग्लादेशी घुसपैठियों का गढ़ बनते जा रहें हैं। जहां एक तरफ झारखंड और बंगाल की सरकारों का रवैय्या ऐसे गम्भीर विषय पर भी एक दम सुस्त बना हुआ है वहीं नॉर्थ ईस्ट के राज्य सराहनीय कदम उठा रहे हैं। पिछले दो महीनों में असम पुलिस, त्रिपुरा पुलिस और बीएसएफ ने बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ा है।
एक और सराहनीय कदम उठाते हुए असम सरकार ने पिछले सितंबर में आधार कार्ड के लिए एक प्रोटोकॉल जारी किया था, जिसमें आवेदकों को अपना एनआरसी नंबर बताना अनिवार्य किया गया था। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि वे अपने सिस्टम को मजबूत करने को जरूरी समझते हैं, इसीलिए उन्होंने आधार कार्ड मैकेनिज्म को सख्त बनाने का फैसला लिया था।
दरअसल, आधार कार्ड भारत की व्यवस्था का सबसे वैलिड डॉक्युमेंट में एक है, जिसका उपयोग परिचय पत्र के तौर पर अन्य सरकारी दस्तावेज बनाने में होता है। सरकार भी आधार के जरिये ही योजनाओं का लाभ देती है। घुसपैठ करके बांग्लादेशी पहले आधार कार्ड और फिर अन्य डॉक्यूमेंट बनवा कर ना सिर्फ यहां के लोगों का हक मारते हैं ब्लकि सरकार चुनने जैसी महत्वपूर्ण भूमिका मे भी दखलअंदाजी करते हैं।
अब हाल ही में असम सरकार ने आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से जोड़ने के प्रयास में ये फैसला किया कि यदि आवेदक या परिवार ने एनआरसी में आवेदन नहीं किया है तो आधार कार्ड के सभी आवेदन खारिज कर दिए जाएंगे। इस फैसले के बाद असम में घमासान मचा गया है। हालांकि इस मुद्दे को आप भले ही राजनीतिक चश्मे से देख सकते हैं, मगर इसे झूठलाया नहीं जा सकता कि राष्ट्रीय सुरक्षा, असम की भौगोलिक स्थिति और सांस्कृतिक ताने-बाने को बचाने के लिए ये ठोस कदम बेहद महत्वपूर्ण था।
असम सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा कि अब से राज्य सरकार का सामान्य प्रशासन विभाग आधार आवेदकों के सत्यापन के लिए नोडल एजेंसी होगा और प्रत्येक जिले में एक अतिरिक्त जिला आयुक्त संबंधित व्यक्ति होगा। जिला स्तर पर, डिप्टी कमिश्नर आधार नामांकन सत्यापन के लिए एक एडीसी नियुक्त करेंगे। फिर एक अधिकारी (सीओ) पहले यह जांच करेगा कि आवेदक या उसके माता-पिता या परिवार ने एनआरसी में शामिल होने के लिए आवेदन किया है या नहीं। यदि एनआरसी के लिए पहले कोई आवेदन नहीं किया गया है तो आधार के अनुरोध को तत्काल खारिज कर दिया जाएगा और केंद्र को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इससे संदिग्ध व्यक्तियों को आधार कार्ड प्राप्त करने से रोका जा सकेगा।
ये नया निर्देश उन केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा, जो अन्य राज्यों में काम कर रहे हैं और जिन्होंने एनआरसी के लिए आवेदन नहीं किया है।