देहरादून। उत्तराखंड के ब्राह्मण परिवार ने बेटी के पहले पीरियड का जश्न मनाया है। दावत रखी, गाना-बजाना हुआ, केक काटा गया और तोहफे दिए गए। काशीपुर में रहने वाले जितेंद्र भट्ट ने बेटी रागिनी के लिए कार्यक्रम रखा था। म्यूजिक टीचर हैं। संदेश देना चाहते हैं कि माहवारी या पीरियड्स प्राकृतिक है।
देना चाहते हैं संदेश
कहते हैं कि इससे नफरत या छुआछूत करना सही नहीं है। लड़कियों को ‘उन दिनों’ में मुंह सिकोड़ कर देखा जाता है। उन्हें हर काम से अलग-थलग कर दिया जाता है। मैं इस परंपरा के खिलाफ मुहिम शुरू करना चाहता हूं। बेटी को बचपन से समझाया कि जब तुम 13-14 साल की हो जाओगी, तो शरीर में तब्दीलियां आएंगी। इससे बिलकुल घबराना या शरमाना मत… मां और मुझसे खुल कर बात करना।
मां प्रज्ञा ने कहा कि जब हमने अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को इस जश्न का न्यौता भेजा, तो कुछ लोगों ने विरोध किया, कुछ ने सराहा। कई लोग बुलावे के बाद भी नहीं आए। हमें उनसे शिकायत नहीं है। धीरे-धीरे समझ जाएंगे।
रागिनी ने पापा मम्मी को शुक्रिया कहा
रागिनी ने बताया कि मेरे सब दोस्त आए। कुछ तो मम्मी-पापा के साथ आए। तोहफे भी दिए। जब मैंने केक काटा, तो ‘हैप्पी बर्थडे’ की जगह ‘हैप्पी पीरियड्स डे’ गाया गया। मैं मम्मी-पापा का शुक्रिया कहती हूं कि इन मुश्किल दिनों में वो मेरी हिम्मत बने। शारीरिक बदलाव के साथ भावनात्मक उतार-चढ़ाव भी होता है। ऐसे में अपनों का साथ जरूरी है। मैं रोज की तरह सब काम कर रही हूं। देवी को दीपक भी लगाती हूं और मां का किचन में हाथ भी बंटाती हूं। साउथ के कुछ इलाकों में यह परंपरा