आज का दौर इतना टॉक्सिक हो चला है कि अगर मैं सिर्फ एक बेसिक व्हाइट पिक्चर भी पोस्ट कर दूं तो आधे उसमे भी कोई ना कोई कमी निकालकर गालियां देने लगेंगे। हर कोई अब या तो बहुत सेंसिटिव है या बिल्कुल ही सेंसिटिव नहीं है। यूं तो सोशल मीडिया हमारे लिए कई मायनों में लोगों के लिए सही साबित हुआ है, पर हम यह भी नकार नहीं सकते कि कई प्लेटफ़ॉर्म्स पर ऑनलाइन क्राइम भी बढ़े हैं। साइबर क्राइम के अलावा आज एक और समस्या है, जो अब विकराल रुप धारण करती जा रही है। हंसी मज़ाक से शुरु हुआ ट्रोलिंग, अब इंटरनेट के बदलते स्वरूप के चलते कैरेक्टर को नीचे गिराने जैसी गंभीर समस्या बनता जा रहा है।
आजकल इंटरनेट पर ऑनलाइन ट्रोलिंग बहुत आम हो गई है और कई लोग सोशल मीडिया पर आलोचना का शिकार हो जाते हैं, जिसका मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
बीते दिनों कोयंबटूर से एक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। जिसमें एक छोटी सी बच्ची छत से गिरने वाली थी। अंततः बच्ची को पड़ोसियों ने बचा लिया। कई यूजर्स ने बच्ची को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाले पड़ोसियों की तारीफ की।हालांकि, बहुत लोगों ने बच्ची की मां को घटना का जिम्मेदार ठहराते हुए खूब ट्रोल किया। मीडिया और टीवी चैनल्स ने भी उसे लापरवाह मां बताया। यही ट्रोलिंग उस बच्ची की माँ रम्या के लिए जानलेवा बन गई। रम्या ट्रोलिंग से काफी परेशान हो गई और डिप्रेशन में जाने के बाद उसने सूइसाइड कर ली। अब भला किसे इसका जिम्मेदार थहराया जाये?
सोशल मीडिया ट्रोलिंग का महिलाओं पर गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ सकता है। नकारात्मक टिप्पणियों और धमकियों की लगातार बौछार से चिंता, डिप्रेसन और कम आत्मसम्मान हो सकता है।
हाल ही मे ऐसी ही एक घटना ऐक्ट्रेस दीपिका पादुकोण के साथ भी देखने मिली है। हाल ही में दीपिका मुंबई में हुए मतदान में वोट देने निकली थीं। दीपिका की तस्वीरें और वीडियोज सामने आने के बाद से ही कई लोग उनकी प्रेग्नेंसी को फेक बताते हुए ट्रोल कर रहे थे। ये देख कर बहुत दुख होता है कि सस्ता इन्टरनेट पा कर स्क्रीन्स के पीछे बैठे लोग कुछ किसी को भी कुछ भी बोल देते हैं। बिना ये सोचे समझे की इससे सामने वाले व्यक्ती की मनोदशा कितनी बिगड़ सकती है।
दीपिका पादुकोण अपनी डेमोक्रेटिक ड्यूटी पूरी करने बाहर निकलीं और वोट दिया। उन्होंने किसी से भी बॉडी या प्रेग्नेंसी पर फीडबैक नहीं मांगा था। किसी को भी उनकी निजी जिंदगी की किसी भी चीज पर कमेंट करने का कोई हक नहीं है।
सिर्फ सेलेब्रिटी ही नहीं किसी को भी किसी व्यक्ती चाहे वो महिला हो या पुरुष उसके निजी जीवन को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिये। ये बेहद अनैतिक और निंदनीय है। वैसे ट्रोलिंग की रोकथाम के खिलाफ सख्त नियम होंने चाहिए। लेकिन अगर नियम भी बनते हैं तो सो कॉल्ड बुद्धिजीवियों की एक भीड़ मैदान पर उतर जायेगी ये कहकर की सबसे बोलने का अधिकार छिन रहा है।