उत्तरप्रदेश में दैनिक भास्कर के एक पत्रकार राजेश साहू पर उनकी ही ईमानदारी भारी पड़ गई हैं। राजेश लखनऊ पुलिस में हो रहे भर्ती घोटाले उजाकर करने गए थे। जिसके बाद उन्हीं पर लखनऊ में FIR दर्ज हो गई है।
क्या है पूरा मामला?
राजेश लखनऊ में 10 दिनों तक पुलिस अभ्यर्थी के रूप में पुलिस भर्ती में चल रहे घोटाले का स्टिंग ऑपरेशन कर रहे थे। इस ऑपरेशन के दौरान राजेश की एक असल पुलिस परीक्षा दे रहे छात्र से बात हुई थी। इस बातचीत में छात्र ने बताया कि, लखनऊ में कैसे पुलिस भर्ती के नाम पर लूट चल रही है। इन्वेस्टिगेशन के दौरान राजेश को पता चला कि, पुलिस अभ्यर्थियों से सिलेक्शन के नाम पर 8 लाख रुपयों की रिश्वत दो किश्तों में मांगी जा रही है। जानकारी के मुताबिक पुलिस, अभ्यर्थियों से 4 लाख रुपए सिलेक्शन के पहले और बाकी के 4 लाख सिलेक्शन होने के बाद मांगते थे। इस प्रक्रिया में पुलिस, अभ्यर्थी को परीक्षा में पास हुए बिना भी 99% सिलेक्ट होने का दावा देती थी। इसमें मुख्य प्वाइंट यह है कि, योगी सरकार पहले ही 60, 244 पदों पर भर्ती निकाल चुकी है, इसके बावजूद यह घोटाला चल रहा है। आपको बता दे कि, धांधली की सारी बातचीत व्हाट्सएप के एक ग्रुप के जरिए होती थी।
इस इन्वेस्टिगेशन के दौरान यह भी पता चला है कि, इस घोटाले में कुछ सरकारी नेता भी शामिल है। इसमें मंत्रियों के नाम अभी तक उजागर नहीं किए गए हैं क्योंकि उनके खिलाफ अभी तक कोई भी सबूत नहीं मिल पाए हैं।
क्या हुआ मामला सामने आने के बाद?
लखनऊ पुलिस की सच्चाई सामने आने के बाद पुलिस ने सबूतों वाले सारे पोस्ट डिलीट करवा दिए हैं। इसके अलावा राजेश पर लखनऊ में इस मामले में धोखाधड़ी करने के आरोप में धोखाधड़ी, आईटी एक्ट और अन्य धाराएं भी लगाई गई हैं।
आश्चर्य की बात है कि, एक लोकतांत्रिक देश में जहां पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मना जाता है, वहां एक पत्रकार पर अपनी सच्चाई के चलते FIR दर्ज की जा रही है।