इंदौर, मध्य प्रदेश के इंदौर में कल से तेज बारिश हो रही है। देर रात से लगातार बारिश होने के कारण शहर की कई कॉलोनियों में पानी भर गया है। बीआरटीएस, खजराना, बंगाली और पिपलियाहना चौराहा सहित आस पास की कालोनियों की सड़कें व इलाके जलमग्न हो गए हैं। शहर की निचली बस्तियों सहित कई कॉलोनियां में लोगों के घरों और दुकानों में पानी भर गया है। इंदौर में पिछले 24 घंटे में लगभग डेढ़ इंच से अधिक बारिश हो चुकी है।
कई कॉलोनियों में जलभराव भी है
इंदौर में लगातार बारिश हो होने के कारण पूर्व और पश्चिम क्षेत्र में जलभराव की स्थिति बन गई है। जिसके चलते शहर के भंवरकुआं, जीपीओ और नवलखा, देवास नाका, विजय नगर, संजय सेतु समेत कई इलाके पानी-पानी हो गए। बारिश के कारण यहां जाम की स्थिति बन गई। लोगों के घरों और दुकानों तक में पानी घुस गया है। सड़कों में पानी और दृश्यता अधिक होने के कारण वाहन चालकों को दिन में गाड़ियों की लाईट चालू करनी पड़ी।
कुछ साल के रिकॉर्ड को देखते है
रिकॉर्ड देखा जाए तो 2019, 2020, 2021 और 2022 बारिश के मामले में मेहरबान रहा है। इससे पहले 2018 में जिले में औसत करीब 28 इंच ही बारिश हुई थी। जबकि जिले का कोटा 37 इंच माना जाता है। इस बार 32 इंच के करीब बारिश हुई है और अगस्त पूरी तरह सूखा गया। ऐसे में सितंबर से ही आस है, अन्यथा जिले का सामान्य कोटा भी पूरा नहीं हो पाएगा। आने वाली गेहूं फसल के लिए जरूर यह बारिश राहत दे सकती है।
फसलों को नुकसान भी और सुधार भी
कहीं कहीं यह बारिश सोयाबीन की फसलों के लिए अनुकूल है। फसलों पर सकारात्मक प्रभाव होगा। फसलों की स्थिति में सुधार होगा। जिन किसानों ने जल्दी पकने वाली सोयाबीन की किस्म लगाई है उनके खेतों में आंशिक रूप से नुकसान की आशंका है। जिले में इस वर्ष 2 लाख 13 हजार रकबे में सोयाबीन की फसल बोई गई है। इंदौर जिले में लंबे अंतराल के बाद पिछले 24 घंटे से हो रही बारिश फसलों के लिए अमृत बन गई है। जिले में फसलों को नया जीवन मिला है। किसानों के चेहरे पर खुशियां लौट आई है।
अगस्त में कम बारिश होने के कारण चिंता बढ़ गई थी
उधर, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने गुरुवार शाम रेसीडेंसी में अधिकारियों की बैठक लेकर फसलों की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए की सभी अधिकारी फसलों पर सतत निगरानी रखें। वे किसानों से निरंतर सवांद बनाए रखें। अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र का सघन प्रबंध करते रहें। सभी मैदानी राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से क्षेत्र का भ्रमण करें और कम से कम 25-25 खेतों को देखें। वे खुद फसलों की स्थिति का जायजा लें तथा उसकी रिपोर्ट तैयार करें। साथ ही उन्होंने किसानों से कहा कि वे किसी भी तरह की चिंता नहीं करें। उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी।