सलीम खान और जावेद अख़्तर भारतीय सिनेमा के दो अनमोल रतन हैं। 70 के दशक में बॉलीवुड में मसाला जौनर का इजाद करने वाली सलीम-जावेद की जोड़ी अपने दौर में किसी भी सुपर स्टार से ज़्यादा बड़ी मानी जाती थी। चाहे अमिताभ बच्चन हों या धर्मेंद्र सभी फिल्मी सुपरस्टार को वो फिल्में देने वाले यही दो लोग थे। पर इतनी काबिलियत होने के बावजूद भी एक वक्त ऐसा था जब 9 महीने तक इनके पास काम नही था। आज उनके इसी दौर का किस्सा हम आपको बताने जा रहे हैं।
बात एक फिल्म प्रोजेक्ट के दौरान की है। दोनो की अगली फिल्म का प्रोड्यूसर बनने की इच्छा लेकर आए व्यक्ति ने सलीम-जावेद से स्क्रिप्ट सुनाने की बात की। तो इस पर दोनो ने कहा “स्क्रिप्ट बाद में सुनना, आप पहले प्राइस सुन लो।” जब प्रोड्यूसर ने प्राइस सुनना तो दोनो का मखौल उड़ाते हुए अपने एक साथ को वहां बुलाया और कहा “जो अभी मुझे के रहे थे वो ज़रा इससे भी कहना।” हालांकि सलीम-जावेद ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की। उन्होंने अपना विज़न इस घटना से डगमगाने नही दिया। ये सिलसिला आने वाले नौ महीनों तक चला। हर बार कोई प्रोड्यूसर आता, प्राइस सुनता और चला जाता। पर उन दोनो के लिए ये उनका अड़ियल पन नही, उनका देश संकल्प और अपने काम की क्वालिटी पर भरोसा था। आखिरकार वो मौका आया और फिल्म “मजबूर” के लिए उन्हें उनकी मनचाही पेमेंट दी गई, जो को 2 लाख रुपए थी, यानी आज की डेट में लगभग 20 करोड़। उसके बाद यह सिलसिला कहीं रुका ही नही, आंकड़ा बढ़ते बढ़ते 2 से 10 तक पहुंच गया। एक वक्त ऐसा आया जब इनको फिल्म लिखने के लिए स्टार से भी ज्यादा पेमेंट मिली। जब भी इस बात का ज़िक्र उनसे किया जाता, उनका जवाब होता “पैसे हां बोलने के नही, ना बोलने के मिलते हैं।”