दक्षिेण भारत के केरल राज्य में एक बार फिर से निपाह वायरस का खतरा मंडराने लगा है। केरल के कोझिकोड जिले में निपाह वायरस से दो लोगों की मौत होने की आशंका जताई गई है। जिसके कारण अलर्ट जारी कर दिया गया है। केरल स्वास्थ्य विभाग ने भी दो लोगों की मौत को ‘अप्राकृतिक’ माना है और सोमवार को निपाह वायरस से संबंधित अलर्ट भी जारी करने में देरी नहीं की है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने एक हाईलेवल मीटिंग कर हालात की समीक्षा भी की है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक केरल के स्वास्थ्य विभाग की ओर से सोमवार रात एक आधिकारिक बयान जारी किया गया। इसमें बताया गया है कि एक निजी अस्पताल से बुखार के बाद दो लोगों की मौत की सूचना मिली है और ऐसा संदेह है कि उनकी मौत की वजह निपाह वायरस हो सकता है।
स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर
बुखार से दो मौतें होने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि निगरानी शुरू कर दी है और सैम्पल जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के पास भेज दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि मृतकों के रिश्तेदार भी अस्पताल में भर्ती हैं एक 9 साल और एक 4 साल की बच्चे की मौत हुई है। इन दोनों के रिश्तेदार निजी अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं।
निपाह वायरस क्या है?
निपाह वायरस को शुरुआत में 1999 में मलेशिया में सुअर पालकों और सुअरों के निकट संपर्क में रहने वाले लोगों के बीच एन्सेफलाइटिस (दिमागी बुखार) और सांस की बीमारी के फैलने के दौरान अलग किया गया था। लेकिन अब तक ना तो उसके इलाज की कोई दवा है ना उसकी रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन। अभी के लिए निपाह का इलाज सिर्फ और सिर्फ सावधानी से रहना ही है। अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो इस वायरस की चपेट में आने से बचा बचने के लिए चमगादड़ और सूअर के संपर्क में आने से बचें, जमीन या फिर सीधे पेड़ से गिरे फल ना खाएं,मास्क लगाए ।
संक्रमण कैसे फैलता है?
निपाह वायरस का मनुष्यों में संचरण संक्रमित चमगादड़ों और संक्रमित सूअरों के सीधे संपर्क के बाद हो सकता है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचरण सबसे अधिक संक्रमित रोगियों के परिवार और देखभाल करने वालों में देखा जाता है। यह चमगादड़ के उत्सर्जन से दूषित कच्चे खजूर के रस के सेवन से भी हो सकता है।यह संक्रमण एन्सेफलाइटिस से जुड़ा है। यह वायरस कम से कम 5-14 दिन रहता है। इसकी शुरुआत बुखार और सिरदर्द से होती है , इसके बाद उनींदापन और भटकाव होता है। या फिर व्यक्ति कोमा में चला जाता है। कई लोगों में श्वस संबंधी बीमारी भी देखी जाती है। यह एक गंभीर बीमारी है और लगभग 40% मरीज इस के कारण अपनी जान गंवा सकते हैं।