तिरुवनंतपुरम से चार बार के सांसद और पूर्व में Indian Foreign Service (IFS) में अपनी सेवाएं दे चुके डॉ. शशि थरूर और कांग्रेस पार्टी के बीच इन दिनों संबंधों में तनाव नज़र आ रहा हैं। पिछले दिनों उन्होंने खुद के पास कुछ काम न होने की शिकायत की थी। उन्होंने यहां तक कह दिया कि यदि पार्टी को उनकी ज़रूरत न हो तो उनके पास दूसरे विकल्प भी खुले हैं। इसके बाद से कई कयास लगने शुरू हो चुके हैं। हालांकि थरूर ने अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया हैं।
साइडलाइन करने के कारण?
शशि थरूर को किन कारणों से अलग किया जा रहा हैं, इस पर चर्चा हो रही हैं। वे अक्सर ज़रूरी मुद्दों पर अपनी स्वतंत्र राय रखते हैं, जो कभी कभी पार्टी लाइन से अलग भी होती हैं। 2014 में भी उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुछ बयानों की तारीफ की थी, जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी प्रवक्ता के पद से ही हटा दिया। इस बार भी कुछ वैसी ही स्थिति बनती दिख रही हैं। उन्होंने 15 फरवरी मोदी की अमेरिका यात्रा की तारीफ की, जिसे उनके दल के एक गुट ने अलग नज़रिए से ले लिया। इसके अलावा वे केरल राज्य में LDF सरकार की Industrial Policies की भी प्रशंसा कर चुके हैं, जो कुछ नेताओं को चुभती हुई दिखाई दे रही हैं।
गांधी परिवार से नज़दीकियों का अभाव!
थरूर गांधी परिवार के वफादार नहीं माने जाते हैं, ये भी एक प्रमुख कारण हो सकता हैं। इस समय उनके पास संगठन में कोई पद भी नहीं हैं और कोई ज़िम्मेदारी भी नहीं दी जा रही। संसद में ज़रूरी मुद्दों पर उन्हें बोलने का मौका भी नहीं दिया जाता हैं। ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे, मगर ये ज़िम्मेदारी भी उनके हाथ से छिटक गई।
मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा?
वे आने वाले चुनावों में खुद को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में देखना चाहते हैं, मगर उनकी जगह केसी वेणुगोपाल को अधिक तवज्जो दी जा रही हैं। थरूर युवा कांग्रेस का नेतृत्व भी संभालने को तैयार हैं, मगर ये भूमिका भी उनके हाथ नहीं आ सकी।
उनका महत्व समझने की ज़रूरत!
थरूर 16 वर्षों से सासंद हैं और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। इससे पहले IFS में भी काम का अनुभव हैं। डॉ मनमोहन सिंह की सरकार में उनका एक अलग महत्व हुआ करता था। ज़ाहिर हैं पहले ही सिंधिया, हिमंता, अमरिंदर सिंह, नबी जैसे अपने कई दिग्गजों को खो चुकी कांग्रेस डॉ थरूर को खोना नहीं चाहेगी।
शशि के पास विकल्प
डॉ. शशि थरूर ने किसी विशेष विचारधारा से प्रेरित होकर राजनीति में कदम नहीं रखा हैं। उनके पास भाजपा और लेफ्ट दोनों ही विकल्प खुले हैं। उनके जैसी अनुभवी शख्सियत को कोई भी दल पूरे सम्मान सहित स्वीकार कर सकता हैं। यदि थरूर पार्टी छोड़ेंगे तो कांग्रेस को इसका भारी नुकसान हो सकता हैं। राजनीति अनिश्चितताओं का खेल हैं, कब क्या हो जाए कुछ कह नहीं सकते, आने वाले समय में सारी तस्वीर साफ हो ही जाएगी।