पिछले दशक में, कई अध्ययनों से सौर मंडल के सुदूर बाहरी किनारों में एक ग्रह के संभावित अस्तित्व के बारे में सिद्धांत सामने आए हैं, जिसे सैद्धांतिक रूप से ‘प्लैनेट नाइन’ के रूप में जाना जाता है। इस नए प्रयास में, शोधकर्ताओं का सुझाव है कि यह संभव है कि कुइपर बेल्ट में एक ग्रह बहुत करीब है।
जापानी शोधकर्ताओं का दावा।
जापानी शोधकर्ताओं ने कहा, “हम पृथ्वी जैसे ग्रहों के अस्तित्व की भविष्यवाणी करते हैं,” उन्होंने आगे कहा, “यह संभव है कि एक आदिकालीन ग्रह का एक पिंड केबीपी के रूप में सुदूर कुइपर बेल्ट में जीवित रह सकता है, क्योंकि सौर मंडल में प्रारंभिक रूप से इतने सारे पिंड मौजूद थे।” द एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में दोनों की रिसर्च स्टडी पब्लिश हुई है। दोनों साइंटिस्ट्स LYKAVA और ITO का ये भी कहना था कि अगर ये पृथ्वी जैसा ग्रह मौजूद है तो ये पृथ्वी से आकार में 1.5-3 गुणा बड़ा होगा।
कैसा हो सकता है प्लेनेट 9?
पृथ्वी से कितना मिलता है नया ग्रह। यह भी पृथ्वी की तरह अपने ग्रह का चक्कर लगाता है और इसमें 385 दिन लेता है। इसकी परतें भी पृथ्वी की तरह चट्टानी हैं। अर्थ 2.0 का तापमान भी पृथ्वी की तरह है। अनुमान है कि अगर यहां ऐसा धरातल है तो फिर जीवन संभव है। यह पृथ्वी से 1400 लाइट ईयर्स दूर है। यह आकार में पृथ्वी से डेढ़ गुना बढ़ा हो सकता है। केप्लर 452बी का पैरेंट स्टार कैप्लर 452 छह बिलियन साल पुराना है। यह हमारे सूरज से भी 1.5 बिलियन साल बड़ा है और 20% ज्यादा चमकीला है। नए ग्रह पर बहुत सारे बादल और सक्रिय ज्वालामुखी होने की संभावना है। पृथ्वी का जैसा ग्रह -अब तक खोजे गए ग्रहों में यह ग्रह पृथ्वी से सबसे ज्यादा मिलता है।
2014 मे पहली बार किया गया था सिद्धांतित।
वैज्ञानिक इसे पृथ्वी की बहन और पृथ्वी-2 भी कह रहे हैं। इसका साइज भी पृथ्वी से काफी समान है। पृथ्वी के बराबर लंबा साल- केपलर 452बी के एक साल की लंबाई यानी समय और इसकी सतह की खूबियां भी लगभग हमारी पृथ्वी जैसी ही हैं। इसका एक साल 385 दिनों का यानी हमारी पृथ्वी से सिर्फ 20 दिन ज्यादा है। वर्षों से खगोलविद हमारे सौर मंडल में एक और दुनिया खोज रहे हैं, जिसे आम तौर पर प्लैनेट नाइन कहा जाता है। प्लैनेट नाइन को पहली बार 2014 में कैलटेक के विशेषज्ञों की ओर से सिद्धांतित किया गया था।
अभी और शोधों की जरूरत।
विशेषज्ञों का कहना है कि वे कुइपर बेल्ट ग्रह के अस्तित्व की पुष्टि करने की जगह भविष्यवाणी कर रहे हैं, क्योंकि इसकी पुष्टि करने के लिए अभी और भी ज्यादा शोध की जरूरत है।