अयोध्या। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। पूजित अक्षत गांवों के मंदिरों तक पहुंचा दिए गए हैं। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष कामेश्वर चौपाल ने बताया कि देशभर में 4 से 5 लाख गांवों के मंदिरों में आनंदोत्सव की तैयारी और शाम को दीपोत्सव के आयोजन के लिए संघ परिवार की समितियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। चौपाल के मुताबिक 1 जनवरी से 15 जनवरी तक महासंपर्क अभियान चलेगा। इसके तहत 11 करोड़ परिवारों से संपर्क कर 60 करोड़ लोगों को पूजित अक्षत देकर उन्हें रामलला के दर्शन के लिए आमंत्रित किया जाएगा। दूसरी ओर प्राण-प्रतिष्ठा पर पूर देश भर से उपहार भेजने की सूचना ट्रस्ट को मिली है। इसके अलावा नेपाल के जनकपुर से भी उपहार भेजे जाएंगे।
रामलला को मिलेंगी ये भेंट
विशेष भोग के लिए रामलला के ननिहाल छत्तीसगढ़ से 3 हजार क्विंटल चावल। इसे छत्तीसगढ़ के जिलों से एकत्र किया गया है। भगवान राम की ससुराल नेपाल के जनकपुर से वस्त्र, फल और मेवा। इसके अलावा उपहारों से सजे 1100 थाल। नेपाल से आभूषण, बर्तन, कपड़े, 51 प्रकार की मिठाइयां, दही, मक्खन और चांदी के बर्तन। उत्तर प्रदेश के एटा जिले से रामलला के दरबार में अष्टधातु का 21 किलो का घंटा। इसे 400 कर्मचारियों ने तैयार किया है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए गुजरात के वडोदरा से 108 फीट लंबी अगरबत्ती। इसे पंचगव्य और हवन सामग्री के साथ गाय के गोबर से बनाया गया है। इसका वजन 3500 किलो है। यह लगातार डेढ़ महीने तक चलेगी। हैदराबाद के श्रीचल्ला श्रीनिवास शास्त्री ने श्रीराम पादुकाओं के साथ अयोध्या की 41 दिनों की परिक्रमा की थी। इसके बाद इन पादुकाओं को रामेश्वरम से बद्रीनाथ तक सभी प्रसिद्ध मंदिरों में ले जाने की बात कही गई थी। प्राण-प्रतिष्ठा के समय इसे अयोध्या लाया जाएगा। महाबीर ट्रस्ट पटना से 2 करोड़ की धनराशि व 5 लाख का स्वर्ण जड़ित कोदंड तीर-धनुष।
काशी के पंडितो को जिम्मा
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान से जुड़े सभी कर्मकांड कराने का जिम्मा काशी के वैदिक पंडितों के कंधे पर है। काशी से अयोध्या गए वैदिक विद्वानों की टोली ने भ्रमण कर दो बड़े मंडप तथा हवन कुंडों के निर्माण के लिए मुख्य मंदिर के सामने भूमि चिह्नित की। 2 जनवरी से मंडप और हवन कुंड का निर्माण शुरू होकर 10 जनवरी तक पूर्ण हो जाएगा। इसके बाद 16 जनवरी से रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुरू होकर 22 जनवरी तक चलेगा। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त संजीवनी काशी के प्रकांड वैदिक विद्वान पं. गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला है, तो अनुष्ठान में आर्चायत्व की भूमिका में काशी के कर्मकांडी पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित होंगे। तय कार्यक्रम के मुताबिक पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के पुत्र अरुण दीक्षित के साथ वैदिक विद्वानों ने बुधवार को अयोध्या भ्रमण कर मंडप और हवन कुंडों के लिए भूमि तय कर दी। नौ हवन कुंड बनाए जाएंगे पं. गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए मुख्य मंदिर के सामने 60-60 फुट आकार के दो मंडप बनाए जाएंगे। एक मंडप में गणेश पूजन और भगवान राम का पूजन होगा, तो दूसरे मंडप में रामलला के विग्रह के स्नान से लेकर अधिवास तक के सभी कर्मकांड कराए जाएंगे। इसी के साथ नौ हवन कुंड बनाए जाएंगे। इन कुंडो की आकृतियां चतुष्कोणीय, पद्मकारा, अर्द्धचंद्र, त्रिकोण, वृत्ताकार, योनिकार, षटकोणीय, अष्टकोणीय होंगी। एक प्रधान कुंड होगा। प्रत्येक कुंड में एक ही समिधा से हवन होगा। समिधा भी काशी से जाएगी।