आभिनेता ऋषि कपूर अपने समय के मशहूर कलाकारों मे से एक थे। जहां 70’s का पूरा दौर एक “Angry young man” का दीवाना हो चुका था, उस समय मे भी अपनी मासूमियत और खुशमिजाज अंदाज़ से ऋषि जी ने हमेशा ही दर्शकों के मन मे रोमैन्टिक फ़िल्मों के लिए एक खास जगह बनाए रखी। महज़ 18 साल की उम्र मे ही उन्हे नैशनल अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया था। आज हम आपको उनकी करिअर की शुरुआत का एक वाकिया बताने जा रहे हैं, जिसका जिक्र उन्होंने ही अपनी किताब “खुल्लम खुल्ला” मे किया था।
ऋषि कपूर ने अपनी करिअर की शुरुआत फ़िल्म “मेरा नाम जोकर” से की थी। ऋषि जी को नैशनल अवॉर्ड भी इसी रोल के लिए दिया गया था। जब ये फ़िल्म शूटिंग के कगार तक पहुँच चुकी थी, तब राज कपूर अपने बचपन का किरदार निभाने के लिए अभिनेता की तलाश कर रहे थे। तभी उनके मन मे अपने बेटे ऋषि को इस रोल मे आज़माने का खयाल आया। डिनर टेबल पर उन्होंने इस बात का जिक्र अपनी पत्नी कृष्णा जी से किया। बोले “मैं सोच रहा हूँ कि मेरे बचपन का रोल मैं चिंटू (ऋषि जी का पेट नेम) से करवाऊँ।” बाद मे इस बात पर सहमती बनी और ऋषि जी को वो रोल मिल गया। ऋषि कपूर ने बताया था कि जब ये बात डिनर टेबल पर डिस्कस हो रही थी, उस वक्त वो राज कपूर के ठीक बगल मे बैठे थे, और ये सारी बातें सुन रहे थे। उस वक्त बाहरी तौर पर वो बहुत ही शांतिपूर्वक तरीके के खाना खा रहे थे, लेकिन अंदर ही अंदर उनके मन मे खुशी के लड्डू फूट रहे थे, कि वो आखिरकार एक फ़िल्म मे ऐक्टिंग करने जा रहे हैं। उन्होंने बड़े ही आराम से खान खाया, मम्मी पापा को गुड नाइट कहा और झट से अपने आप को रूम मे बंद करके औटोग्राफ देने का अभ्यास शुरू कर दिया था।