यूक्रेन और रूस के बीच चल रहा युद्ध एक बार फिर उस मोड़ पर पहुंच गया है जहां पूरी दुनिया की सांसें थम गई हैं। हाल ही में यूक्रेन ने रूस के एक प्रमुख एयरबेस पर पर्ल हार्बर जैसे हमले को अंजाम देकर पूरी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को झकझोर दिया है। यह हमला न केवल रणनीतिक रूप से बड़ा कदम था, बल्कि मनोवैज्ञानिक युद्ध का भी हिस्सा था। इस हमले ने रूस के भीतर गुस्से की लहर दौड़ा दी है और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर परमाणु विकल्प की ओर झुकने का दबाव और बढ़ा दिया है।
द्वितीय विश्व युद्ध में जापान द्वारा अमेरिका के पर्ल हार्बर पर किए गए हमले ने अमेरिका को युद्ध में झोंक दिया था। अब यूक्रेन का यह हमला। जिसे कई विशेषज्ञ ‘नया पर्ल हार्बर’ कह रहे हैं, एक संकेत है कि यह टकराव अब पारंपरिक युद्ध की सीमाएं लांघ रहा है। यूक्रेन ने यह हमला ऐसे समय किया जब तुर्की में शांति वार्ता होनी थी। यह न केवल सैन्य बल्कि राजनीतिक संदेश भी है। यूक्रेन अब पीछे हटने को तैयार नहीं।
पिछले हफ्ते रूस के पूर्व राष्ट्रपति और पुतिन के सबसे करीबी सहयोगी दिमित्री मेदवेदेव ने खुलकर तीसरे विश्व युद्ध की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर अमेरिका और नाटो यूक्रेन की सैन्य मदद बढ़ाते हैं तो रूस के पास जवाब देने के लिए “सब विकल्प खुले” हैं। यह बात ऐसे समय आई है जब अमेरिका यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें और अत्याधुनिक हथियार दे रहा है।
यह पहला मौका नहीं है जब रूस ने परमाणु हमले की धमकी दी हो, लेकिन हालात जिस तेजी से बिगड़ रहे हैं, उससे यह खतरा अब पहले से कहीं ज्यादा वास्तविक लगता है। पुतिन एक ऐसे नेता हैं जो हार को सार्वजनिक रूप से बर्दाश्त नहीं करते। अगर यह हमला रूस की सैन्य प्रतिष्ठा को गहरी चोट देता है, तो वह इस अपमान का जवाब देने के लिए परमाणु विकल्प पर विचार कर सकते हैं।
अमेरिका लगातार यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। नाटो की ओर से भी समर्थन जारी है। इससे रूस को यह संदेश मिल रहा है कि यह लड़ाई सिर्फ यूक्रेन की नहीं, बल्कि पश्चिम बनाम रूस की लड़ाई है। यही कारण है कि मेदवेदेव जैसे नेता तीसरे विश्व युद्ध की बात खुले तौर पर करने लगे हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि अमेरिका का यह रवैया रूस को उकसा सकता है। और अगर एक भी परमाणु हथियार चला, तो उसका असर केवल युद्ध क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा। यह मानव सभ्यता के लिए एक ऐसी त्रासदी बन सकती है जिसकी कल्पना भी भयावह है।
आज की दुनिया पहले जैसी नहीं है। परमाणु हथियारों की संख्या और उनकी ताकत पहले से कहीं ज्यादा घातक हो चुकी है। अगर यह युद्ध वैश्विक स्तर पर फैला, तो लाखों नहीं, करोड़ों लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं। जलवायु, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा, और मानव जीवन, हर चीज पर असर पड़ेगा।
ऐसे में यह ज़रूरी है कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र, केवल बयान जारी करने तक सीमित न रहें, बल्कि सक्रिय रूप से इस युद्ध को रोकने के लिए हस्तक्षेप करें। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आज के दौर में संयुक्त राष्ट्र की साख और असर दोनों ही कमजोर पड़ चुके हैं।
यूक्रेन का यह हमला निश्चित रूप से युद्ध के नए चरण की शुरुआत है। यह घटना दिखाती है कि अब दोनों पक्षों में से कोई पीछे हटने को तैयार नहीं है। पुतिन की मनोवैज्ञानिक स्थिति, मेदवेदेव की चेतावनी, अमेरिका की आक्रामक मदद, और यूक्रेन की हिम्मत, इन सभी ने मिलकर तीसरे विश्व युद्ध की स्क्रिप्ट लिखनी शुरू कर दी है।
दुनिया को अब यह तय करना है कि वह इस स्क्रिप्ट का दर्शक बनेगी, या इसे बीच में ही रोक देगी। लेकिन एक बात तय है, अगर यह युद्ध शुरू हुआ, तो यह आखिरी युद्ध हो सकता है जिसे मानवता देखेगी।