भारतीय वैज्ञानिक शौविक जना की अगुआई में बेंगलुरू के इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरिटिकलसाइंसेस (आईसीटीएस) के वैज्ञानिकों ने दावा किया है, कि अब ब्रम्हांड के विस्तार की गति को नापा जा सकता है। सौ साल होते आ रहे हैं, हमारे वैज्ञानिकों और खगोविदों को यह जाने हुए कि ब्रम्हांड फैल रहा है। इससे पहले 1929 में सबसे पहले यह पता चला था कि गैलेक्सी हमसे दूर जा रही हैं। वहीं 25 साल पहले यह साफ हुआ कि ब्रह्माण्ड के विस्तार की रफ्तार बढ़ती ही जा रही है।
ग्रैविटेशनल लेंसिंग और तरंगें’
पृथ्वी और इन ब्लैक होल के बीच रास्ते में स्थित गैलेक्सी के कारण रास्ते से गुजरने वाली तरंगो का बार- बार मिलना ग्रैविटेशनल लेंसिंग की परिघटना का होना बताती है। इस स्टडी के सहलेखक परमेश्वरन अजित का कहना है,कि टीम ने ग्रैविटेशनल लेंसिंग के प्रकाश को एक सदी से अवलोकित किया है।इस स्टडी में रिसर्चर्स ने इस बात पर ध्यान दिया कि गुरुत्व कैसे गुरुत्व तरंगों को प्रभावित करती हैं।
दो दशक बाद उन्नत डिटेक्टर से होगा लाभ
रिसर्चर्स का कहना है ,कि दो दशक में वैज्ञानिक गुरुत्व तरंगों के उन्नत डिटेक्टर पर काम शुरू कर देंगे। इससे मिलने वाले ब्लैक होल की खोज में तेजी आएगी और आसानी से खोज कर पाएंगे। और साथ ही उन्नत डिटेक्टर व ज्यादा दूरी तक की तरंगों को पकड़ सकेंगे।साथ ही भविष्य में गुरुत्व तरंगों से डार्क मैटर की स्टडी में भी मदद मिल पाएगी।
बार- बार दिखने वाले ब्लैक होल की गिनती
रिसर्चर्स के मुताबिक बार –बार दिखने वाले ब्लैक होल की डिटेक्टर से गिनती और उसके बीच के समय में अंतर की स्टडी कर हम ब्रम्हांड के विस्तार की दर का पता लगा सकते है। खगोलविदों (astronomers)का मानना है कि उन्नत डिटेक्टर कुछ करोड़ ब्लैक होल मिलने के संकेतों को रिकॉर्ड कर सकेंगे जिनमें से करीब दस हजार ब्लैक होल ऐसे होंगे जो ग्रैविटेशनल लेंसिंग की वजह से एक से ज्यादा बार दिखाई देंगे।