सलमान रुश्दी का नाम आते ही सबसे पहले उनका विवादित उपन्यास ‘The Satanic Verses’ का जिक्र होता है। इस उपन्यास का हिंदी में अर्थ ‘शैतानी आयतें’ हैं। इस किताब के नाम पर ही मुस्लिम धर्म के लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। रुश्दी ने अपनी इस किताब में एक काल्पनिक किस्सा लिखा है। किस्सा कुछ इस तरह है कि दो फिल्म कलाकार हवाई जहाज के जरिए मुंबई से लंदन जा रहे हैं। इनमें एक फिल्मी दुनिया का सुपरस्टार जिबरील है और दूसरा ‘वॉयस ओवर आर्टिस्ट’ सलादीन है।
बीच रास्ते में इस प्लेन को कोई सिख आतंकी हाइजैक कर लेता है। इसके बाद विमान अटलांटिक महासागर के ऊपर से गुजर रहा होता है, तभी पैसेंजर से आतंकियों की बहस होने लगती है। गुस्से में आतंकवादी विमान के अंदर बम विस्फोट कर देता है।
इस घटना में जिबरील और सलादीन दोनों समुद्र में गिरकर बच जाते हैं। इसके बाद दोनों की जिंदगी बदल जाती है। फिर एक रोज एक धर्म विशेष के संस्थापक के जीवन से जुड़े कुछ किस्से पागलपन की ओर जा रहे जिबरील के सपने में आता है। इसके बाद वह उस धर्म के इतिहास को एक बार फिर नई तरह से स्थापित करने की सोचता है।
भारत पहला देश था जिसने इस उपन्यास को बैन किया। उस वक्त देश में राजीव गांधी की सरकार थी। इसके बाद पाकिस्तान और कई अन्य इस्लामी देशों ने इसे प्रतिबंधित कर दिया। फरवरी 1989 में रुश्दी के खिलाफ मुंबई में मुसलमानों ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन पर पुलिस की गोलीबारी में 12 लोग मारे गए और 40 से अधिक घायल हो गए थे।
ईरान की इस्लामिक क्रांति के नेता अयातुल्ला खुमैनी ने उनके खिलाफ 1989 में मौत का फतवा जारी किया था। जुलाई 1991 में उनके जापानी अनुवादक हितोशी इगाराशी की हत्या कर दी गई थी. इतना ही नहीं 12 अगस्त 2022 को न्यूयॉर्क में एक व्याख्यान के दौरान सलमान रुश्दी पर लेबनानी-अमेरिकी शख्स ने चाकू से हमला कर दिया, इस हमले में सलमान रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई।
हालांकि, हाल ही में उनके इस उपन्यास से भारत में बैन हटा दिया गया और जैसा कि उम्मीद थी बहुत लोग इसे खरीद रहे हैं। नवंबर 2022 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस किताब के आयात पर लगाए गए बैन को चुनौती देने वाली याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी। कोर्ट ने कहा कि अधिकारी अधिसूचना प्रस्तुत करने में विफल रहे हैं, इसलिए यह मान लिया जाना चाहिए कि यह मौजूद ही नहीं है। ये आदेश तब आया जब सरकारी अधिकारी 5 अक्टूबर 1988 की अधिसूचना प्रस्तुत करने में विफल रहे, जिसमें पुस्तक के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया था।
लेकिन यह केवल उनके लेखन का एक हिस्सा है। रुश्दी का साहित्यिक योगदान इस विवादों से कहीं आगे है।
Midnight’s Children यह उपन्यास न केवल सलमान रुश्दी के करियर का मील का पत्थर है, बल्कि भारतीय साहित्य के लिए भी ऐतिहासिक है। Midnight’s Children ने 1981 में बुकर प्राइज़ जीता और 1993 में इसे “बुकर ऑफ बुकर्स” का खिताब मिला। यह उपन्यास भारत के स्वतंत्रता संग्राम, विभाजन और आज़ादी के बाद के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को सलीके से बुनता है। कहानी के नायक सलीम सिनेई की कल्पनाशक्ति और भारत की ऐतिहासिक घटनाएं अद्भुत सामंजस्य बनाती हैं।
1983 में आया Shame, यह उपन्यास पाकिस्तान की राजनीति पर आधारित है। इसमें रुश्दी ने सत्ता, समाज और शर्म के बीच के जटिल संबंधों को उजागर किया है। Shame में रुश्दी का व्यंग्यात्मक और तीखा लेखन देखने को मिलता है। यह किताब पाकिस्तान के संस्थापकों और उनके उत्तराधिकारियों की एक साहित्यिक समीक्षा मानी जाती है।
1990 में आया Haroun and the Sea of Stories उपन्यास बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए है। यह कहानी एक ऐसे लड़के, हारून, के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने पिता से कहानियों के जादुई समुद्र को बचाने के लिए एक साहसिक यात्रा पर निकलता है। इसे रुश्दी ने अपने बेटे ज़फर के लिए लिखा था और यह कल्पना और नैतिकता का बेहतरीन मेल है।
The Moor’s Last Sigh…यह उपन्यास भारतीय समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है। इसमें कहानी, कला और इतिहास का एक अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। यह रुश्दी की कल्पनाशक्ति और उनकी सांस्कृतिक समझ का उत्कृष्ट उदाहरण है।
Joseph Anton: A Memoir, यह उनकी आत्मकथा है, जिसमें उन्होंने The Satanic Verses के बाद की अपनी ज़िंदगी का लेखा-जोखा पेश किया है। इसमें उन्होंने बताया कि किस तरह उन्हें मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा और वे वर्षों तक छुपकर रहे। यह किताब उनके संघर्ष और साहित्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दिखाती है।
सलमान रुश्दी का साहित्य केवल मनोरंजन के लिए नहीं है, बल्कि यह गहन विचार और संवाद के लिए भी है। उनके लेखन में भारतीय उपमहाद्वीप की जटिलता, सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक घटनाओं का अद्भुत चित्रण होता है।
रुश्दी एक ऐसे लेखक हैं, जिन्होंने साहित्य की सीमाओं को विस्तार दिया है। चाहे Midnight’s Children की ऐतिहासिकता हो, या The Satanic Verses की जटिलता, उनका हर काम अद्वितीय है। विवादों से परे, उन्हें एक ऐसे लेखक के रूप में देखना चाहिए, जिन्होंने हमें सोचने और सवाल करने का साहस दिया।