कुछ चेहरे इतिहास में इतने तीखे और साफ होते हैं कि वक़्त उन्हें मिटा नहीं सकता। माइक वॉलेस ऐसा ही एक नाम थे। अमेरिकी टेलीविज़न पत्रकारिता का वो चेहरा, जिसकी आवाज़ में सख़्ती थी, सवालों में तेज धार और स्टाइल में एक करिश्मा।
6 मई 1918 को अमेरिका के मैसाचुसेट्स में जन्मे माइक वॉलेस ने पत्रकारिता को केवल खबरों की दुनिया में नहीं रखा, बल्कि उसे टेलीविज़न स्क्रीन पर एक ‘थ्रिलर’ बना दिया। उनका नाम आते ही सबसे पहले दिमाग़ में ’60 Minutes’ का स्क्रीन इंट्रो सामने आ जाता है…CBS का वो शो जिसने न्यूज़ को ग्लैमर, सस्पेंस और गहराई तीनों का स्वाद दिया।
“क्या आपको अफसोस है?” माइक का इस क्लासिक सवाल ने बड़े-बड़ों के माथे पर पसीना ला दिया। उनका इंटरव्यू लेने का अंदाज़ जैसे एक आइने दिखाने जैसा था जिसमें सामने वाले को उसके सबसे सच्चे, सबसे कच्चे रूप में दिखा देता था। चाहे ईरान के अयातुल्ला खुमैनी हों या अमेरिका के राष्ट्रपति, चाहे लुइस फराखान हों या वॉरेन बफे…माइक वॉलेस ने किसी से न रियायत मांगी, और न कभी दी।
उनके इंटरव्यूज किसी courtroom cross-examination से कम नहीं लगते थे। जब वो कुर्सी पर बैठते थे, तो सामने वाले को पता होता था कि आज का मुकाबला कठिन होने वाला है।
बहुत कम लोग जानते हैं कि माइक वॉलेस ने अपने करियर की शुरुआत रेडियो ऐड्स और गेम शोज़ से की थी। फिर उन्होंने WWII के दौरान नौसेना में सेवा की। युद्ध के बाद, धीरे-धीरे वो एक हार्डन्यूज़ जर्नलिस्ट की ओर मुड़े। हालांकि माइक का सफर आसान नहीं था। उन्होंने डिप्रेशन, बेटे की मौत, और खुद के स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का भी सामना किया।
अखिरकार 2006 में उन्होंने ’60 Minutes’ से रिटायरमेंट लिया, लेकिन तब तक वो एक लीजेंड बन चुके थे। 8 अप्रैल 2012 को, 93 साल की उम्र में उनका निधन हुआ। उनके जाने से सिर्फ एक पत्रकार नहीं गया, बल्कि पत्रकारिता का एक युग समाप्त हुआ।
आज जब कोई तेज़-तर्रार, धारदार सवालों वाला एंकर टीवी पर आता है, तो कहीं न कहीं उसमें माइक वॉलेस जैसे बनने की इच्छा तो होती है लेकिन उन जैसा बन पाना शायद असंभव के आस पास की बात है। उनकी लाइनों में एक आत्मा थी, और सवालों में एक नैतिक साहस। वो कहते थे…”हम पत्रकार हैं, हमारा काम दोस्त बनाना नहीं, बल्कि जवाब माँगना है।”
अगर पत्रकारिता को सिर्फ एक ही चेहरा हो जो बेखौफ़ हो, निडर हो, और जिसे देखकर सत्ता भी कांप उठे तो वो चेहरा शायद माइक वॉलेस का ही होगा। उनके एक छोटे से सवाल “Why?” ने पूरी दुनिया के न जाने कितने लोगों की नींदें हमेशा के लिए ख़राब कर दीं।