By using this site, you agree to the Privacy Policy
Accept
June 6, 2025
The Fourth
  • World
  • India
  • Politics
  • Sports
  • Business
  • Tech
  • Fourth Special
  • Lifestyle
  • Health
  • More
    • Travel
    • Education
    • Science
    • Religion
    • Books
    • Entertainment
    • Food
    • Music
Reading: वो पुराने दिन : सद्दाम का अंत, बगदाद का पतन लेकिन क्या बात वहीं खत्म हो गई?
Font ResizerAa
The FourthThe Fourth
Search
  • World
  • India
  • Politics
  • Sports
  • Business
  • Tech
  • Fourth Special
  • Lifestyle
  • Health
  • More
    • Travel
    • Education
    • Science
    • Religion
    • Books
    • Entertainment
    • Food
    • Music
Follow US
WhatsApp Image 2025 04 09 at 2.57.25 PM - The Fourth
Fourth Special

वो पुराने दिन : सद्दाम का अंत, बगदाद का पतन लेकिन क्या बात वहीं खत्म हो गई?

ये एक देश की आत्मा थी जिसे खंडहरों में बदलने की शुरुआत हो चुकी थी

Last updated: अप्रैल 9, 2025 2:59 अपराह्न
By Rajneesh 2 महीना पहले
Share
5 Min Read
SHARE

बगदाद का पतन! ये शब्द 9 अप्रैल 2003 की सुबह दुनिया भर के न्यूज़ चैनलों पर गूंजे। टीवी स्क्रीन पर एक विशाल मूर्ति सद्दाम हुसैन की अमेरिकी टैंक की रस्सियों में बंधी, भीड़ के नारों और सैनिकों के इशारों के बीच ज़मीन पर आ रही थी। ये केवल एक तानाशाह की मूर्ति नहीं गिर रही थी, ये एक देश की आत्मा थी जिसे खंडहरों में बदलने की शुरुआत हो चुकी थी।

2003 की शुरुआत में अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने दावा किया था कि इराक में “Weapons of Mass Destruction” मौजूद हैं। ऐसे हथियार जो एक झटके में लाखों को मिटा सकते हैं। कहा गया कि सद्दाम हुसैन एक ख़तरनाक तानाशाह है जो इन हथियारों के ज़रिए दुनिया को तबाही की ओर ले जा सकता है।

इसके बावजूद, 20 मार्च 2003 को अमेरिका, ब्रिटेन और उनके गठबंधन की सेनाओं ने “Operation Iraqi Freedom” के नाम से इराक पर हमला कर दिया। बगदाद की ओर बढ़ती फौजों के पीछे एक कथित मक़सद था। इराक को आज़ाद कराना। मगर असली सवाल ये था कि किससे?

बगदाद, जो कभी अब्बासिद खलीफाओं का गढ़ था, जिसने दुनिया को विज्ञान, कला और साहित्य दिया, अब जलता हुआ शहर बन चुका था। टैंकों की गड़गड़ाहट, मिसाइलों की चीख़ और दीवारों के पीछे कांपते नागरिक यही बन चुका था ‘आज़ादी’ का नया चेहरा।

9 अप्रैल को अमेरिकी फौजें बगदाद के फ़िरदौस चौक पहुँचीं। यहाँ एक विशाल प्रतिमा थी सद्दाम हुसैन की। अमेरिकी टैंक ने मूर्ति को नीचे गिराया, और टीवी कैमरे उसे लाइव दिखा रहे थे, जैसे ये पूरी लड़ाई का अंतिम दृश्य हो।

पर इस दृश्य के पीछे अनगिनत कहानियाँ थीं लुटती हुई लाइब्रेरीज़, जलते हुए म्यूज़ियम, बेघर होती औरतें, भूख से मरते बच्चे।

उस दिन जब सद्दाम की मूर्ति गिरी, बगदाद के निवासी दो हिस्सों में बँट चुके थे। एक जो ख़ुश थे कि तानाशाही खत्म हो गई, और दूसरे जो डरे हुए थे कि असली मुसीबत तो अब शुरू होगी।

क्योंकि मूर्तियाँ गिरती हैं, पर व्यवस्था के खालीपन में जो उठता है, वो अक्सर और ज़्यादा भयानक होता है।

बगदाद के पतन के बाद जल्द ही पूरे इराक में अराजकता फैल गई। शासन का कोई ढाँचा नहीं बचा। लूटपाट आम हो गई। अमेरिका ने ‘Coalition Provisional Authority’ के ज़रिए देश को चलाने की कोशिश की, पर वो इराक की जड़ों से अंजान थे।

2006 तक हालात इतने बिगड़ चुके थे कि इराक गृहयुद्ध की आग में जलने लगा शिया और सुन्नी एक-दूसरे के ख़ून के प्यासे हो गए। अल-क़ायदा जैसे संगठन और बाद में ISIS जैसी बर्बर ताक़तें इसी अराजकता की कोख से पैदा हुईं।

13 दिसंबर 2003 को सद्दाम हुसैन को पकड़ा गया,एक ज़माने का शेर अब ज़मीन के नीचे छिपा एक थका हुआ बूढ़ा आदमी था। उसे 2006 में फाँसी दे दी गई। पर उसकी मौत से शांति नहीं आई।

बल्कि सद्दाम के बाद जो खालीपन पैदा हुआ, उसने लाखों ज़िंदगियाँ निगल लीं। 2003 से 2011 तक चले अमेरिकी कब्ज़े में अनुमानतः 5 लाख से ज़्यादा इराकी मारे गए…ज़्यादातर आम नागरिक।

9 अप्रैल 2003 को जब बगदाद गिरा, तब केवल एक तानाशाह नहीं हारा। हारी थी इंसानियत, हारे थे वो झूठे आदर्श जो ‘लोकतंत्र’ के नाम पर थोपे गए। एक शहर जिसने दुनिया को रौशनी दी थी, उसे बारूद से बुझा दिया गया।

आज भी जब बगदाद की गलियों में धूप उतरती है, तो ज़मीन के नीचे से कुछ सवाल उठते हैं जैसे क्या आज़ादी सिर्फ़ एक विदेशी टैंक के ज़रिए लाई जा सकती है? क्या लोकतंत्र बम के डर से पैदा होता है?

बगदाद का पतन हमें याद दिलाता है कि इतिहास कभी-कभी विजेताओं का नहीं, बल्कि पीड़ितों का लिखा जाना चाहिए।

क्योंकि जो तस्वीर उस दिन टीवी पर छाई थी गिरती मूर्ति, तालियाँ, और कैमरे वो अधूरी थी। पूरी तस्वीर उन आँखों में थी, जो देख रही थीं अपना घर उजड़ता हुआ, अपने बच्चे को खोता हुआ, और अपने वजूद को मिटता हुआ।

You Might Also Like

America में नहीं घुस पायेंगे 12 देशों के नागरिक, Trump ने क्यूँ लगाया बैन?

Laura McClure ने संसद में दिखाया था खुद का Deep fake Nude पोस्टर, साहसिक कदम से अहम मुद्दे पर खिंचा सबका ध्यान

IPL 2025 का महामुकाबला: कौन बनेगा नया Champion – पंजाब या बेंगलुरू?

यूक्रेन ने रूस पर किया पर्ल हार्बर जैसा हमला! क्या अमेरीका की तरह Nuclear Attack से जवाब देगा रूस?

Qualifier-2 में पंजाब ने मुंबई को हराकर 11 साल बाद रखा Final में कदम

TAGGED: April 9, Baghdad downfall, Iraq crisis, Iraq war, Operation Iraqi Freedom, Saddam Hussein, thefourth
Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp LinkedIn
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0

Follow US

Find US on Social Medias

Weekly Newsletter

Subscribe to our newsletter to get our newest articles instantly!

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Loading

Popular News

blob041223095122 - The Fourth
World

इंडोनेशियाई में ज्वालामुखी विस्फोट, 11 लोगो की मौत और 22 लोग अभी भी लापता

2 वर्ष पहले

Earthquake Alerts: भूकंप आने से पहले मिलेगा फोन पर अलर्ट

मध्य प्रदेश के कटनी से सतना के बीच, खाली चलती ट्रेन में महिला के साथ दुष्कर्म

अब कभी न मिल सकेंगे सरहद के बिछड़े दो भाई

OpenAi में Open क्राइसिस!

You Might Also Like

WhatsApp Image 2025 05 31 at 1.56.40 PM - The Fourth
India

अंकिता भंडारी को कोर्ट से मिला न्याय, तीनों कातिलों की जेल में कटेगी बाकी उम्र

7 दिन पहले
WhatsApp Image 2025 05 31 at 10.54.02 AM - The Fourth
Fourth Special

देवी अहिल्याबाई होळकर: धर्म, न्याय और शक्ति का संगम

7 दिन पहले
corrected image 1 - The Fourth
India

पनवारी कांड: 34 वर्षों के बाद 36 लोगों को मिली सज़ा, क्युं हुई थी ये हिंसक घटना?

1 सप्ताह पहले
WhatsApp Image 2025 05 28 at 7.13.42 PM - The Fourth
Fourth Special

वीर सावरकर…एक अमर क्रांतिकारी कवि, जो अपनी कविताएं दीवारों पर कोयले, कील और नाखून से कुरेदते थे।

1 सप्ताह पहले
The Fourth
  • About Us
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Careers
  • Entertainment
  • Fashion
  • Health
  • Lifestyle
  • Science
  • Sports

Subscribe to our newsletter

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Loading
© The Fourth 2024. All Rights Reserved. By PixelDot Studios
  • About Us
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Careers
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?