USA में एक बार फिर ट्रंप का वक्त लौट आया, जब रिपब्लिकन पार्टी के नेता Donald Trump ने सोमवार, 20 जनवरी को अमेरिका के 47वे राष्ट्रध्यक्ष की शपथ ली साथ ही JD Vance ने 50वे उपराष्ट्रपति की शपथ ली। इस प्रकार के आयोजन ने केवल स्थानीय जनता का ही नहीं, पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा।
स्वर्ण युग की शुरुआत का दावा
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अब “स्वर्ण युग” का आरंभ हो रहा हैं। शपथ ग्रहण समारोह के बाद कुछ समय तक कैपिटल हिल का Rotunda तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। इस समारोह में स्थानीय जज, सांसद, ट्रंप परिवार, भावी मंत्रिमंडल और तकनीकी क्षेत्र के CEOs भी शामिल थे। दुनिया भर से उन्होंने बधाई देने वालों का तांता लग गया।
पूर्व में इस पद पर विराजमान थे ट्रंप
इससे पूर्व वे 2017 से 2021 तक सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश के शीर्ष पद पर आसीन थे। समारोह में दुनियाभर की प्रमुख हस्तियां शामिल थीं जिनमें भारत की ओर से विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया।
संबोधन में परिवर्तन और नए कदमों की घोषणा
ट्रंप ने अपने भाषण में कहा, ‘अमेरिका के गिरावट वाले दिन अब बीत चुके हैं तथा “Golden Age” का आरंभ हो रहा हैं।’ उन्होंने 20 जनवरी को “Liberation Day” बताते हुए कहा कि बहुत ही जल्दी परिवर्तन आएगा तथा अच्छे समय की शुरुआत होगी। इस दौरान, नव निर्वाचित राष्ट्रपति ने कुछ कदमों की बात की जिनपर कोई कदम उठाया जायेगा जैसे पनामा नहर को वापस लाना, मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी करना, अमेरिका- मैक्सिको बॉर्डर पर एक राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करना, ऊर्जा सेक्टर को बढ़ावा, आव्रजन नीति में बदलाव और वैश्विक संगठनों से दूरी बनाना।
लिए ताबड़तोड़ फैसले और रद्द किए बाइडेन प्रशासन के 78 आदेश
इस समारोह के तुरंत बाद ट्रंप ओवल ऑफिस पहुंचे तथा कई महत्वपूर्ण फाइलों पर हस्ताक्षर किए। जिनमें प्रमुख थे:
- 6 जनवरी 2021 को कैपिटल हिल पर हुए हमले के दोषी 1500 लोगों को माफी,
- पेरिस जलवायु समझौते को अमेरिका के लिए घातक बताते हुए इसे फौरन रद्द करना,
- WHO से बाहर निकलने का आदेश,
- थर्ड जेंडर का खात्मा,
- कनाडा-मैक्सिको पर 25% टैरिफ लगाना।
निष्कर्ष
ट्रंप की वापसी उनके देश के लिए अहम राजनीतिक घटना हैं जो भविष्य में स्थानीय तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। उनके द्वारा उठाए गए कदम पूरे विश्व को एक अलग ही राह पर ले जा सकते हैं। अब देखने वाली बात होगी कि वह अपने दूसरे कार्यकाल में क्या क्या दिशा-निर्देश लागू करते हैं तथा उनका किस तरह का असर होता हैं।