कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री, विदेश मंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल एस.एम. कृष्णा का आज सुबह 2:45 बजे निधन हो गया है। उन्होंने बेंगलुरु स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने एस.एम. कृष्णा के निधन पर दुख जताया है। साथ ही डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने मीडिया में जानकारी दी है कि, लोगों को दोपहर 3:00 बजे उनके अंतिम दर्शन की अनुमति दी गई है। पारिवारिक अनुष्ठान एक घंटे तक चलेगा। उसके बाद शाम 4:00 बजे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
एस.एम. कृष्णा का पूरा नाम सोमनाहल्ली मल्लैया कृष्णा था। उनका जन्म 1 मई 1932 को मांड्या जिले के सोमनाहल्ली गांव में हुआ था। एस.एम. कृष्णा ने अपनी शुरुआती शिक्षा मैसूरु में प्राप्त की थी। उन्होंने बेंगलुरु के सरकारी लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। इसके अलावा वे फुलब्राइट स्कॉलर भी रहे। एस.एम. कृष्णा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत मांड्या से विधायक के रूप में की थी। 1962 में वे एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीते थे। उसके बाद उन्होंने 1964 में प्रेमा से शादी की। कृष्णा के परिवार में उनकी पत्नी प्रेमा और दो बेटियाँ शाम्भवी और मालविका हैं।
एस.एम. कृष्णा साल 1999 से 2004 कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे और वर्ष 2004 से 2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे। 22 मई 2009 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कृष्णा को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया और 23 मई 2009 विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी। मार्च 2017 में एस.एम. कृष्णा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। 2023 में सरकार ने एस.एम. कृष्णा को पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।एस.एम. कृष्णा ने 1962 में मद्दर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल करके चुनावी राजनीति में अपना करियर शुरू किया था। कांग्रेस में शामिल होने से पहले वे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से जुड़े थे। एस.एम. कृष्णा ने अपने राजनीतिक जीवन का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस पार्टी में बिताया लेकिन, वह बाद में बीजेपी में शामिल हो गए।
एस.एम. कृष्णा ने अपने राजनीतिक जीवन का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस पार्टी में बिताया लेकिन, मार्च 2017 में उन्होंने कांग्रेस से अपना करीब 50 साल पुराना नाता तोड़ लिया और भाजपा में शामिल हो गए। जनवरी 2017 में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए कहा कि पार्टी इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति में है कि, उसे जननेताओं की जरूरत है या नहीं।
पिछले साल एस.एम. कृष्णा को उनकी राजनीतिक में अहम भूमिका निभाने के लिए भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। जो उनके छह दशकों के राजनीतिक करियर के लिए दिया गया था। जिसकी शुरुआत 1962 में अमेरिका से लौटने के बाद उनके पहले चुनाव से हुई थी। पद्म विभूषण एस.एम. कृष्णा ने आधी सदी तक चले अपने राजनीतिक करियर में राज्यपाल, विदेश मंत्री और मुख्यमंत्री सहित केंद्र और राज्य स्तर पर कई शीर्ष पदों पर काम किया। वह दिसंबर 1989 से जनवरी 1993 तक कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके थे।