मध्यप्रदेश में, दो साल में, सांप के डसने से पांच हजार जान जा चुकी है। 231 करोड़ रुपए का मुआवजा सरकार को बांटना पड़ा है। इसको खत्म करने के लिए प्रदेश के जंगलों में किंग कोबरा लाने की तैयारी है। किंग कोबरा की खुराक ही जहरीले सांप होते हैं।
मध्यप्रदेश में हर साल सांप काटने से तीन हजार मौत होती है। औसतन 100 करोड़ रुपए मुआवजा दिया जा रहा है।
ये है विशेषता
किंग कोबरा बीस साल जिंदा रहता है। ये ही सांप है, जो अंडों-ब”ाों को खाता नहीं… हिफाजत करता है। पहले यह मध्यप्रदेश के जंगलों में था, अब गायब हो चुका है।वन विभाग के अधिकारी शुभरंजन सेन बताते हैं कि रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि किंग कोबरा ने मध्यप्रदेश छोड़ दिया। हमारे यहां 44 प्रजाति के सांप हैं। इनमें करीब आधे ऐसे हैं, जिनमें जहर नहीं है। ये सांप आब-ओ-हवा के लिए कारगर नहीं हैं। करीब दस साल पहले कोरबा में कोबरा मिला था। उसके बाद से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ से गायब है।
वैज्ञानिक की राय
जूलॉजी वैज्ञानिक प्रत्युष महापात्र का कहना है कि अगर कोबरा लाते हैं, तो इलेक्ट्रॉनिक चिप लगा कर उसे छोडऩा होगा। उस पर नजर रखना होगी। समझना होगा कि कैसा माहौल चाहिए। उसके मुताबिक मिट्टी, जमीन और पानी देना होगा।
उत्तराखंड, हिमाचल और नेपाल बॉर्डर पर कोबरा मिलता है। ओडिशा, बिहार और तमिलनाडु में भी है, लेकिन सबसे अच्छा वहीं का होता है, जहां के माहौल में नमी हो। म.प्र. में आने वाला कोबरा उत्तराखंड और हिमाचल से हो सकता है। दोनों प्रदेश के मुख्यमंत्री और जानकारों से बात हो रही है। लगातार जारी मौत और सरकारी खजाने पर पड़ रहे बोझ का हल किंग कोबरा ही है।
कुछ जानकार मानते हैं कि सर्दी में ही इसे शिफ्ट किया जाता है। बेहोश करने में मौत भी हो जाती है। अफ्रीका के जंगलों में पाया जाने वाला कोबरा सबसे अच्छी नस्ल का है। बातें चल रही हैं कि जिस तरह नामीबिया से चीते लाए गए, मध्य अफ्रीका के जंगलों से कोबरा भी मंगवा लिया जाए।