दुनियाभर में जनसंख्या लगातार बहुत तेजी से बढ़ती ही जा रही है। अमेरिकी जनगणना ब्यूरो द्वारा 28 दिसंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार 2024 की 1 जनवरी को दुनिया की आबादी 8 अरब को पार कर जाएगी। इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि, पिछले 1 साल में दुनिया की जनसंख्या में 7.5 करोड़ लोगों की वृद्धि हुई है। पिछले साल दुनिया भर में विकास दर सिर्फ एक प्रतिशत से कम थी।
जनगणना ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2024 की शुरुआत में दुनिया भर में हर सेकंड 4.3 जन्म और दो मौतें होने की उम्मीद है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में 75,162,541 की वृद्धि है, जिससे 1 जनवरी 2024 को अनुमानित विश्व जनसंख्या 8,019,876,189 हो जाएगी।
Covid-19 ने जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित किया
घटती प्रजनन दर और युवाओं के छोटे अनुपात जैसे कारकों के कारण जनगणना ब्यूरो का अनुमान है कि 9 अरब की आबादी होने में अभी 14 साल से अधिक का समय लगेगा। इसके अलावा, 10 अरब तक पहुंचने में साढ़े 16 साल लगने का अनुमान है। यह अनुमान धीमे विकास दर को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, Covid-19 महामारी ने जनसंख्या वृद्धि को भी प्रभावित किया है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट अनुसार
पिछले साल नवंबर में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दुनिया की जनसंख्या आठ अरब हो गई।2030 तक पृथ्वी पर 850 करोड़, 2050 तक 970 करोड़ और 2100 तक 1040 करोड़ लोग हो सकते हैं। यह भी बताया गया था कि, मानव की औसत उम्र भी आज 72.8 वर्ष हो चुकी है, यह 1990 के मुकाबले 2019 तक नौ साल बढ़ी है। 2050 तक एक मनुष्य औसतन 77.2 वर्ष तक जिएगा। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने इस अभूतपूर्व वृद्धि के पीछे सार्वजनिक सेहत, पोषण, स्वच्छता और चिकित्सा में सुधार को अहम कारण माना। पिछले साल आई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक जनसंख्या को सात से आठ अरब तक बढ़ने में 12 साल लगे हैं, जबकि 2037 तक यह 9 अरब तक पहुंच जाएगी।
भारत समेत आठ देशों में होगी आधी आबादी
2050 तक भारत, पाकिस्तान, कॉन्गो, मिस्र, इथियोपिया, नाइजीरिया, फिलीपींस और तंजानिया में विश्व की 50% आबादी निवास कर रही होगी। इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स इवेल्यूएशन की रिपोर्ट के अनुसार 78 साल बाद भारत में टीएफआर 1.29 पर होगी, जो यूएन के आकलन 1.69 से कहीं कम है। भारत की आबादी साल साल 2100 में निर्धारित अनुमान से 43.3 करोड़ तक कम हो सकती है। 2010 से 2021 के दौरान 1.65 करोड़ पाकिस्तानियों ने अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में प्रवास किया है। इसके बाद भारत से 35 लाख, बांग्लादेश से 29 लाख, नेपाल से 16 लाख और श्रीलंका से 10 लाख लोग दूसरे देश चले गए।