नेल्सन मंडेला, एक ऐसा नाम जिसने न केवल दक्षिण अफ्रीका, बल्कि पूरी दुनिया में स्वतंत्रता, समानता और इंसानियत का संदेश फैलाया था। उनका जन्म 18 जुलाई 1918 को दक्षिण अफ्रीका के एक छोटे से गाँव, उमटाटा, में हुआ था। टीमबू कबीले मे पैदा हुए नेल्सन का पूरा नाम नेल्सन रोलीह्लला मंडेला रखा गया था। दिलचस्प बात यह है कि उनके नाम रोलीह्लला का अर्थ था “मुसीबत लाने वाला”… जो अश्वेत विरोधियों के लिए आगे चलकर एक दम सटीक साबित हुआ।
मंडेला की प्रारंभिक शिक्षा वानटावाना गाँव में हुई थी, लेकिन बाद में उन्होंने हावर्ड कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की। वे न केवल एक प्रतिभाशाली छात्र थे, बल्कि सामाजिक समस्याओं को लेकर भी गंभीर थे। उनकी शिक्षा और उनके विचारों ने उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में तैयार किया, जो समाज की असमानताओं और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाएंगे।
दक्षिण अफ्रीका में एक समय था जब रंगभेद नीति ने काले लोगों को अत्यधिक दबाव में डाल दिया था। इस नीति के खिलाफ मंडेला ने संघर्ष शुरू किया। 1944 में उन्होंने अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस से जुड़कर राजनीतिक मैदान में कदम रखा। वे चाहते थे कि काले लोग समान अधिकार प्राप्त करें, उन्हें वोट देने का अधिकार मिले और वे समाज के मुख्यधारा में शामिल हों।
उनके संघर्ष का एक बड़ा मोड़ तब आया, जब 1962 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। मंडेला ने 27 साल जेल में बिताए, लेकिन इस दौरान भी उनकी आस्था, संघर्ष और नेतृत्व क्षमता में कोई कमी नहीं आई।
मंडेला की जेल यात्रा केवल एक व्यक्ति के संघर्ष की कहानी नहीं थी, बल्कि यह दक्षिण अफ्रीका के काले लोगों की आवाज बन गई। उनकी रिहाई की मांग को लेकर पूरी दुनिया में विरोध प्रदर्शन होने लगे। हर महाद्वीप, हर देश में मंडेला को एक प्रतीक के रूप में देखा जाने लगा। यह उनकी शक्ति का ही परिणाम था कि 1990 में उन्हें जेल से रिहा किया गया और उनके नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीका ने रंगभेद नीति को खत्म किया।
1994 में, दक्षिण अफ्रीका में पहले पूर्ण लोकतांत्रिक चुनाव हुए और नेल्सन मंडेला देश के पहले काले राष्ट्रपति बने। उनका कार्यकाल न केवल राजनीतिक सुधारों का था, बल्कि उन्होंने समाज में सामूहिक सुलह और शांति की दिशा में भी कई कदम उठाए। मंडेला ने नस्लीय तनाव को कम करने के लिए “सच और सुलह आयोग” की स्थापना की, जिससे जातिवाद के खिलाफ एक सशक्त संदेश गया।
मंडेला का प्रभाव केवल दक्षिण अफ्रीका तक सीमित नहीं था। वे वैश्विक नेता के रूप में उभरे, जिन्होंने कई देशों को मानवाधिकार और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष की प्रेरणा दी। उन्होंने गरीबी, युद्ध, और असमानता के खिलाफ भी कई पहल की। उनके कार्यों और नेतृत्व को सम्मानित करने के लिए उन्हें 1993 में ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ से नवाज़ा गया।
नेल्सन मंडेला का जीवन निजी रूप से भी बहुत संघर्षमय था। उनकी पहली पत्नी, एवलिन, से 1958 में तलाक हुआ और फिर उन्होंने 1961 में विनी मादीकिजेला से विवाह किया। हालांकि, यह विवाह भी लंबे समय तक नहीं चल सका। उनकी तीसरी पत्नी ग्रेस माकाजेला से उन्होंने 1998 में शादी की। मंडेला के चार बच्चे थे।
आखिरकार नेल्सन मंडेला ने 5 दिसंबर 2013 को 95 वर्ष की आयु में अपनी आखिरी साँस ली। उनका निधन दक्षिण अफ्रीका और पूरी दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति था। उनकी विरासत आज भी जीवित है। वे केवल एक राजनीतिक नेता नहीं थे, बल्कि एक ऐसे इंसान थे जिन्होंने प्यार और मानवाधिकारों की भावना को सर्वोच्च माना।