इंदौर के संस्थापक रावराजा राव नदलाल मंडलोई ने सन 1716 में इंदौर की स्थापना की थी। उन्ही के मार्गदर्शन में इंदौर में कई क्षेत्रो का विकास हुआ है। वे एक दूरदर्शी शासक थे, जिन्होंने उस दौर में व्यापारियों के हित में फैसला लेकर शहर को कर मुक्त व्यापार करने की छूट दिलवाई। मुगलों के शासन में तिरला के विश्व प्रषिद्ध युद्ध में उनकी अहम भूमिका रही थी। उन्होंने मुगलों को परास्त कर तिरला युद्ध में विजय प्राप्त की ।
युद्ध में करीब 12हजार सैनिको ने अपना बलिदान दिया
तिरला के इस युद्ध में करीब 12हजार सैनिको ने अपना बलिदान दिया था।युद्ध के दो महीने बाद उन्होंने देह त्याग दी। यह बात जमींदार परिवार के वरदराज मंडलोई जमींदार ने कल यानि शुक्रवार को जुनी इंदौर स्थित बड़ा रावला परिसर में कही। वे इंदौर स्थापना दिवस समारोह समिति द्वारा आयोजित बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित बलिदानियों के स्वजन के सम्मान समारोह में संबोधित कर रहे थे।इस मौके पर ब्रिगेडियर एके चटेटी ने कहा कि सेना की सर्वोच्च देश के लिए है, व्यक्ति विशेष के लिए नहीं,देश सर्वोपारी है। देश की सेवा में बलिदान भी देना पड़े टो यह एक बलिदान के लिए गर्व की बात है। समारोह की अध्यक्षता कर रहे वरिस्ठ कवि सत्यनारायण सत्तन ने कहा कि स्वतंत्रता की लड़ाई में जिन्होंने भाग लिया था और उन्होंने देश की आजादी के लियए अपने प्राणों को न्योछवर किया है,ऐसे बलिदानियों को नमन करते है।
परिवारो के सदस्यों का सम्मान किया
राव श्रीकांत मंडलोई व माधवी मंडलोई ने बताया कि देशहितों में वीरगति प्राप्त करने वाले बलिदानियों के परिवारो के सदस्यों का सम्मान किया गया है। इसमें सभी को शाल-श्रीफल व स्म्रति चिन्ह भेंट किया गया।
कौन-कौन मौजूद थे
इस मौके पर महापौर पूषयमित्र भार्गव, नरेंद्र बिड़वाल,रवींद्र दीक्षित,वसुंधरा पंडित, प्रवीण जोशी,एनके यादव, राजेश पाठक, महेंद्र व्यास ,राजेश पाठक ,रमेश अग्रवाल मौजूद थे। साथ ही समारोह का संचालन हेमेन्द्र पाठक ने किया।