कलकत्ता हाई कोर्ट (HC) ने बंगाल में 2010 के बाद जारी होने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया है। इससे OBC के 5 लाख लाभकारी लोगों का प्रमाण पत्र रद्द हो जायेगा। इसका मतलब यह है कि, अब उन लोगों को आने वाले समय में OBC वर्ग के तहत मिलने वाला आरक्षण नहीं मिल पाएगा। हालांकि, कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि, जिनकी पहले से ही आरक्षण के तहत सरकारी नौकरी लग चुकी है, उन पर इस फैसले का कोई असर नहीं पड़ेगा।
कोर्ट ने क्यों लिए यह फैसला ?
बंगाल में TMC की सरकार 2011 में आई थी। सत्ता में आने के बाद TMC ने कई जातियों को OBC वर्ग में शामिल कर दिया था। जिसमें मुस्लिमों की करीबन 80-90% संख्या थी। कोर्ट ने इसी को देखते हुए यह फैसला सुनाया है। कोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार ने OBC समुदायों की पहचान के लिए 1993 के कानून का पालन नहीं किया था। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से एक जरूरी रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें यह बताया हो कि OBC लिस्ट में नई जातियों को शामिल करना उचित क्यों है। लेकिन सरकार इसमें भी विफल रही थी। कोर्ट के मुताबिक, मूल OBC के अधिकारों से समझौता किया गया है। इस सबको देखते हुए ही कोर्ट ने यह फैसला लिया है।
कोर्ट का यह फैसला, पश्चिम बंगाल OBC एक्ट , 2012 के प्रोविजन को चुनौती देने वाली याचिकाओं के बाद आया है। याचिकाओं को देखने के बाद कोर्ट ने यह घोषणा की है कि, इस एक्ट के तहत कई वर्गों को दिया गया आरक्षण अवैध था।
बंगाल सरकार की प्रतिक्रिया
बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कोर्ट के इस फैसले को मानने से इंकार कर दिया है और कहा है कि OBC आरक्षण आगे भी चलता रहेगा। साथ ही ममता ने कहा है कि, इस फैसले में भाजपा का प्रभाव है। उनका यह भी कहना है कि, HC को भाजपा की शह पर आरक्षण छीनने की अनुमति नहीं दी जाएगी। भाजपा हिंदू और मुस्लिम में फूट डालने की कोशिश कर रहा है।
भाजपा का जवाब
ममता के बयान पर अमित शाह ने कहा कि, वह यह सुनिश्चित करेंगे कि अदालत के आदेश का पालन हो और OBC वर्ग के लोगों को उनका अधिकार मिले। जो लोग OBC श्रेणी में नहीं हैं, उन्हें राजनीति के कारण आरक्षण का लाभ नहीं लेना चाहिए। भाजपा का मानना है कि, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं हो सकता है। संविधान इसकी इजाजत नहीं देता।
भारत में धर्म के नाम पर राजनीति करना एक आम बात है। बंगाल सरकार भी वो ही कर रही थी। बंगाल में मुस्लिम आबादी ज्यादा है और शायद इसे ही देखते हुए TMC सरकार ने वोट पाने के लिए OBC वर्ग में यह बदलाव करे थे। लेकिन एक तरफ देखा जाए तो मुस्लिम समुदाय में जातियां बंटी नहीं होती है और माइनॉरिटी होने के फायदे उन्हें पहले से ही मिलते आ रहे थे। तो फिर इससे सवाल यह उठता है कि, TMC सरकार किस हिसाब से OBC सर्टिफिकेट दे कर उन्हें इतने सालों से फायदा दे रही है?