ब्रायन जॉनसन…एक ऐसा नाम, जो दुनिया में एंटी-एजिंग और बायोहैकिंग के लिए जाना जाता है। मगर हाल ही में, उन्होंने भारत को लेकर एक ऐसी बात कही, जिसने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी। ज़ेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ के पॉडकास्ट के दौरान, ब्रायन जॉनसन ने अचानक बातचीत छोड़ दी और भारत की हवा को ‘खतरनाक’ बताते हुए बाहर निकल गए। वजह? मुंबई की जहरीली हवा।
जॉनसन ने कहा कि भारतीय शहरों की हवा उनके हेल्थ प्रोटोकॉल के लिए बेहद नुकसानदायक है। इसके बाद, उन्होंने सोशल मीडिया पर भारत की वायु गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई और कहा कि यह सिर्फ भारतीयों के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी एक चेतावनी है।
क्या सच में हवा इतनी खराब है?
भारत में एयर पॉल्यूशन कोई नई बात नहीं, लेकिन हर साल यह और गंभीर होता जा रहा है। WHO के अनुसार, दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 10 भारत में हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ – ये सब वायु गुणवत्ता के मामले में रेड जोन में हैं।
PM2.5 और PM10 जैसे कण, जो हमारे फेफड़ों में जाकर गंभीर बीमारियाँ पैदा कर सकते हैं, उनकी मात्रा भारत के कई शहरों में WHO के तय मानकों से कई गुना ज्यादा है। लैंसेट की रिपोर्ट बताती है कि हर साल भारत में करीब 16 लाख लोग वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के कारण जान गंवाते हैं।
आपको जगाने के लिए कुछ सवाल
ब्रायन जॉनसन जैसे लोग जब इस मुद्दे को उठाते हैं, तो हमें बुरा लगता है, गुस्सा आता है। मगर क्या सच में हमें फर्क पड़ता है? क्या हम हर दिन जो हवा में सांस ले रहे हैं, उस पर ध्यान देते हैं? क्या हम मास्क पहनकर खुद को बचाते हैं? क्या हम सरकार पर दबाव डालते हैं कि एयर पॉल्यूशन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ?
सच्चाई यह है कि हम में से ज्यादातर लोगों को यह सब ‘नॉर्मल’ लगने लगा है। घर से बाहर निकलते ही हमारी आँखें जलती हैं, सांस लेने में तकलीफ होती है, बच्चे बीमार पड़ते हैं, लेकिन हम इसे ‘नियति’ मानकर जी रहे हैं।
क्या सरकार कुछ कर रही है?
सरकारों ने कुछ कदम उठाए ज़रूर हैं, लेकिन वे नाकाफी साबित हुए हैं। दिल्ली में ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’(GRAP) लागू किया गया, जिसमें कंस्ट्रक्शन पर रोक, वॉटर स्प्रिंकलिंग और वाहनों की संख्या कम करने जैसे उपाय शामिल हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है, मगर उनकी कीमत और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अभी भी एक बड़ी समस्या है। कई शहरों में एयर प्यूरिफायर टावर्स लगाए गए, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वे सिर्फ दिखावे के लिए हैं और कोई स्थायी समाधान नहीं देते।
क्या ब्रायन जॉनसन ने सही किया?
अगर कोई विदेशी हमारी हवा को जहरीला कहता है, तो हमारा भड़कना स्वाभाविक है। मगर सच से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। ब्रायन जॉनसन का पॉडकास्ट छोड़कर जाना सिर्फ एक घटना नहीं है, यह एक चेतावनी है। अगर आज हम इस पर ध्यान नहीं देंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को हम सिर्फ प्रदूषण, बीमारियाँ और एक दम घुटती हुई ज़िंदगी देकर जाएंगे।