इंदौर। बदहाल बायपास के मामले में एनएचएआई सहित राज्य सरकार और इंदौर कलेक्टर को तलब किए जाने की असली लड़ाई गांव के दो युवकों ने शुरू की थी। इंदौर से सटे डकाच्या और नावदा गांव के दोनों छात्र कानून की पढ़ाई कर रहे हैं। सवाल उठाया, लेकिन न तो एनएचएआई के अफसरों ने सुनी और न ही जिम्मेदारों ने। कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा और अब कामयाबी मिलती दिख रही है।
हाईकोर्ट ने भेजा नोटिस
मध्यप्रदेश हाइकोर्ट ने कल नोटिस भेजा है। इनमें म.प्र. सरकार का सड़क विभाग और इंदौर कलेक्टर भी शामिल हैं। चार हफ्ते में जवाब देना होगा। डकाच्या में रहने वाले तनिष्क पटेल (23) ने बताया कि कई महीनों से लड़ रहा था। उस स्पीड-ब्रेकर ने मेरे गांव के व्यक्ति की भी जान ली है। अफसरों के चक्कर काटता था। सब एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ते थे। अब देखते हैं, कोर्ट से कैसे बचते हैं। साल भर से ज्यादा हो गया है, लेकिन स्पीड-ब्रेकर नहीं हटा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के घर शिकायती चिट्ठी रख कर आया था, लेकिन जब वहां से भी कुछ नहीं हुआ, तो कोर्ट गया। वकील श्रीकृष्ण शर्मा ने गड्ढे, गलत कट, ट्रैफिक बदइंतजामी, सड़क किनारे बड़े ट्रक सहित सात मुद्दे कोर्ट के सामने रखे हैं। टोल कलेक्शन वाली कंपनी स्कायलार्क को भी पार्टी बनाया है।
“नो टोल कैंपेन”
‘नो टोल कैंपेन’ चलाएंगे तनिष्क ने बताया कि टोल-नाके के आसपास पच्चीस गांव के सरपंच और जिम्मेदारों से बात करूंगा। सड़क नहीं सुधर जाती, तब तक टोल नहीं देने की मुहिम चलाई जाएगी। अब टोल वाले ये दलील देंगे कि आसपास वाले तो वैसे ही टोल नहीं देते हैं… लेकिन सच यह है कि जब भी गुजरो, मांगा जाता है। हम दूरदराज से आने वाली गाडिय़ों को भी जोड़ेंगे।