दिल्ली में विधानसभा चुनाव समाप्त हो चुके हैं तथा परिणाम भी सबके सामने हैं। भारतीय जनता पार्टी ने 70 सीटों में से 48 पर बाज़ी मारी हैं तो आम आदमी पार्टी 22 पर सिमट गई। कांग्रेस का खाता इस बार भी नहीं खुला। जीते हुए दल की राजधानी में मुख्यमंत्री चुनने की कवायद तेज़ हो गई हैं। पिछले कुछ समय में पार्टी लीडरशिप ने नए नामों को सामने लाकर सभी को चौंकाया हैं साथ ही सभी समीकरणों को भी ध्यान में रखा जाता हैं। एक नज़र उन लोगों पर जो इस पद के मज़बूत दावेदार हैं।
- परवेश वर्मा – वर्तमान में सबसे बड़ा और मज़बूत नाम परवेश साहिब सिंह वर्मा का ही चल रहा हैं। वे जाट समुदाय से नाता रखने वाले एक ताकतवर नेता हैं और पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के सुपुत्र हैं। प्रतिष्ठित नई दिल्ली विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराने के बाद एक जायंट किलर के रूप में वो मशहूर हो गए हैं। अमित शाह के नज़दीकी भी बताए जाते हैं और दिल्ली के गांवों से जुड़े हैं जहां से इस बार भाजपा को पूरा समर्थन मिला।
- विजेंद्र गुप्ता – पिछले एक दशक में, जब राज्य में भाजपा की सीटें 10 से भी कम हुआ करती थीं, तब भी विजेंद्र गुप्ता रोहिणी सीट से लगातार विजय प्राप्त कर रहे थे। उन्होंने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की। गुप्ता नेता प्रतिपक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। साथ ही भाजपा, दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। एक मज़बूत बनिया नेता के तौर पर देखे जाते हैं। अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए उन्होंने काफी काम भी किया हैं।
- सतीश उपाध्याय – ब्राह्मण चेहरा हैं, साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में भी कामकाज का लंबा अनुभव हैं। आप के दिग्गज नेता सोमनाथ भारती को मालवीय नगर सीट से पराजित किया। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
- रेखा गुप्ता और शिखा राय – पार्टी राज्य में महिला नेता को भी मौका दे सकती हैं जिसमें रेखा गुप्ता और शिखा राय के नाम प्रमुख हैं। रेखा गुप्ता शालीमार बाग से विजयी होकर आई हैं, वहीं शिखा राय ने पूर्व मंत्री सौरव भारद्वाज को पराजित किया। MCD और संगठन दोनों में काम कर चुकी हैं।
- दुष्यंत कुमार गौतम – हालांकि वे चुनाव नहीं जीत पाए हैं, लेकिन यदि दलित चेहरे को आगे किया जाता हैं, तो वे निश्चित ही एक दावेदार साबित हो सकते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं और राज्यसभा सांसद के रूप में कार्य कर चुके हैं।
इन सभी के अलावा कपिल मिश्रा, मनोज तिवारी, बांसुरी स्वराज और मोहन सिंह बिष्ट जैसे नाम भी सूची में हैं। लेकिन अब तक के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, वरिष्ठ नेतृत्व फिर से किसी लो प्रोफाइल नेता को मुख्यमंत्री का ताज पहनाकर चौंका सकता हैं।