कोटा, एक ऐसा शहर, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु प्रसिद्ध है, जहां से छात्र IITs जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में जाने का सपना देखा करते है। लेकिन पिछले कुछ समय से वहां हो रही आत्महत्याओं की खबरें सुनकर दिल दहल जाता है तथा यह सोचने पर विवश कर देता है कि ऐसा क्या दबाव है कि हमारे युवा इतना भीषण कदम उठा लेते है। इस प्रकार की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही है। वर्ष 2024 में 17 छात्रों ने अपना जीवन समाप्त कर लिया, वहीं कमरों में एंटी हैंगिंग डिवाइस लगाने के बाद भी इस साल 15 दिनों में अब तक 6 मामले सामने आ चुके है।
इस समस्या को देखते हुए, राजस्थान की सरकार एक बिल लाने जा रही है। 31 जनवरी से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में यह पेश किया जाएगा।
हाई कोर्ट को देना पड़ा था दखल!
इस प्रकार के मामलों में बढ़ोतरी होती देखकर, स्वयं हाई कोर्ट ने संज्ञान लेकर एक याचिका दायर की थी। इसपर सुनवाई करते हुए, राज्य सरकार से पूछा गया था कि वे इन घटनाओं को रोकने के लिए क्या प्रयास कर रहे है।
सरकार की ओर से बताया गया कि इस मुद्दे पर विधेयक लाया जाएगा। न्यायमित्र वरिष्ठ वकील सुधीर गुप्ता ने बताया कि कानून बनने में समय लगता है, तब तक केंद्र सरकार की गाइडलाइंस का पालन कराया जाए और उनके निर्धारित मानकों के अनुसार कोचिंग सेंटर्स का पंजीयन हो।
कोचिंग सेंटर्स के लिए गाइडलाइंस!
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले सेंटर्स के लिए कुछ नियम लागू किए गए है, जो इस प्रकार है:
- कोचिंग में 16 वर्ष से कम आयु के छात्र का नामांकन नहीं होगा।
- नामांकन केवल माध्यमिक परीक्षा पास करने के बाद ही मिलेगा।
- ग्रेजुएट से कम योग्यता वाले ट्यूटर्स नही होंगे।
- बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
- मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी काउंसिलिंग उपलब्ध कराई जाए।
- छात्र मुश्किल या तनाव में हो तो उसे उचित मदद मिले।
- नैतिक अपराध का दोषी फैकल्टी के तौर पर न हो।
- छात्रों को अच्छे नंबर और रैंक की झूठी गारंटी नहीं दे सकते।
- कोर्स की ट्यूशन फीस पहले से ही निर्धारित होगी और बीच में बढ़ाई नही जाएगी।
- समय से पहले कोर्स छोड़ने पर फीस वापस करनी होगी।
- ज़्यादा फीस वसूलने पर पंजीयन रद्द किया जाएगा।
पीजी – हॉस्टल को भी करवाना होगा पंजीयन!
कोटा जिले में चल रहे सभी पीजी – हॉस्टल को भी ऑनलाइन पंजीयन करवाना अनिवार्य कर दिया गया है तथा इसे पूरा करने की डेडलाइन 31 जनवरी दी गई है। पोर्टल पर मालिक को हॉस्टल अथवा पीजी का नाम, पता, क्षमता, नंबर इत्यादि ज़रूरी जानकारी बतानी होगी।
इस दिशा में क्या प्रभावी कदम उठाए जा सकते है?
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए छात्र को जीवन के प्रति आशावादी सोच की ओर प्रेरित करना तथा सकारात्मक मानसिकता को बढ़ावा देना होगा। सभी प्रकार के अवसाद के मामलों पर कड़ी नज़र रखनी होगी तथा कोचिंग में संतुलित टाइम टेबल बनाए जाए। छात्रों के लिए अवकाश व खेलकूद की सुविधाएं भी मुहैय्या करानी होगी। साथ ही परिवार एवं शिक्षक भी बहुत ज़्यादा दबाव बच्चों पर न डाले। कुछ इस प्रकार के कदमों से इन मामलों में गिरावट हो सकती है।