मणिपुर में 3 मई 2023 से चल रहे कुकी-मैतेई संघर्ष के बाद, एन बीरेन सिंह ने रविवार को राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया। विपक्ष लंबे समय से उनके इस्तीफे की मांग कर रहा था। सिंह 2017 से 2025 तक तकरीबन आठ वर्षों तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। 2017 में अपनी पार्टी को मणिपुर में पहली बार जीत दिलाई और 2022 में भी सरकार को बरकरार रखा। लेकिन कुकी-मैतेई संघर्ष से उचित ढंग से न निपट पाने के कारण उनके दूसरे कार्यकाल पर सवाल खड़े कर दिए। पिछले कुछ समय से मणिपुर में जो हुआ वो किसी से छुपा नहीं है और एन बीरेन सिंह की आलोचना इसी कारण हो रही थी कि वे इस संघर्ष को रोकने में नाकाम रहे या फिर इस पर चुप्पी साधे हुए थे। भाजपा की प्रदेश यूनिट के अंदर ही मतभेद शुरू हो गए थे। उनके अपने लोग ही मुख्यमंत्री बदलने की मांग कर रहे थे। आने वाले विधानसभा सत्र में सिंह के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी थी, ऐसे में यदि भाजपा के अपने ही विधायक ही सिंह के खिलाफ वोट करते, तो पार्टी के लिए राजनीतिक नुकसान होता। ऐसे में सोच समझकर यह निर्णय लिया गया।
हिंसा की शुरुआत!
मणिपुर में मैतेई समुदाय की मांग थी कि उन्हें भी कुकी समुदाय की तरह Scheduled Tribe का दर्ज़ा दिया जाए। तनाव और अधिक इसलिए गया जब कुकियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। कुकियों का तर्क था कि इससे समाज पर उनका प्रभाव और ज्यादा मजबूत हो जाएगा। उनका कहना था कि नशीली दवाओं के खिलाफ अभियान उनके समुदाय को निशाना बनाने का बहाना है।
किस प्रकार की घटनाएं हुई?
इस हिंसा में जो कुछ भी हुआ, वो बहुत ही पीड़ादायक था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार तकरीबन 221 लोगों की मौत हुई और 1000 से ज़्यादा घायल हुए। 132 मन्दिरों और करीब 400 चर्चों को नुकसान पहुंचा। 60,000 से ज़्यादा लोग बेघर हो गए। इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई। लेकिन अति तब हो गई, जब 2 महिलाओं को नग्न परेड करवाई गई तथा उनके साथ सबके सामने गलत काम किया गया। दोनों ही समुदायों का एक दूसरे के ऊपर से विश्वास पूरी तरह से टूट गया होगा।
अब आगे क्या?
अगले मुख्यमंत्री के लिए वाय खेमचंद सिंह, टी विश्वजीत सिंह और टी सत्यब्रत सिंह का नाम आगे चल रहा है। आने वाले समय में स्थिति स्पष्ट हो ही जाएगी। पिछले कुछ समय से मणिपुर में शांति ज़रूर है मगर हम यही उम्मीद करते है कि इस हिंसा का अंत हो तथा इसका उचित समाधान हो।