मारुति 800, यह एक ऐसी कार है, जिसके नाम से लगभग हर कोई वाकिफ होगा। “People’s Car” के नाम से मशहूर इस गाड़ी से न जाने कितने लोगों की सफर की यादें जुड़ी होंगी। लेकिन क्या आप जानते है कि इस कार को किफायती दरों पर आम लोगों तक पहुंचाने में किसका हाथ था? वह व्यक्ति थे, सुज़ुकी मोटर कार्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुज़ुकी, जिन्हें इसी वर्ष मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। भारत में ऑटोमोटिव उद्योग में योगदान हेतु उन्हें इस सम्मान से नवाज़ा गया है। इससे पूर्व, वर्ष 2007 में वो पद्म भूषण से भी सम्मानित किए जा चुके है। पिछले साल 94 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।
तो आइए जानते है कि इस विशेष व्यक्तित्व व भारत में उनके योगदानों को।
ओसामु सुज़ुकी का जन्म 30 जनवरी 1930 को जापान के गेरो में हुआ था। 1958 में सुज़ुकी मोटर्स के संस्थापक मिचीयो सुज़ुकी की पोती शोको सुज़ुकी से विवाह करने के बाद वे इस परिवार से जुड़े। परिवार में कोई पुरुष वारिस न होने के कारण उन्हें चौथे दत्तक पुत्र के रुप में अपनाया गया।
ओसामु ने 1958 में सुज़ुकी मोटर कार्पोरेशन में अपने करियर की शुरुआत की। अपने समर्पण से जूनियर पद से काम करते हुए वह 1963 में डायरेक्टर के पोस्ट पर पहुंचे। इसके बाद, 1967 में उन्हें जूनियर मैनेजिंग डायरेक्टर, तो 1972 में सीनियर मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर पदोन्नति मिली। 1978 में वह कंपनी के प्रतिष्ठित प्रेसिडेंट और सीईओ के पद पर पहुंचे। अन्ततः, साल 2000 में कम्पनी के चेयरमैन का कार्यभार संभाला।
ये ओसामु ही थे, जिन्होंने इस कंपनी को सबसे बड़ी छोटी कार कंपनी के रूप में दुनिया में स्थापित किया। बड़ी कंपनियों से सीधा मुकाबला करने की बजाय, उन्होंने छोटी कारों के लिए नए बाज़ार खोजे व उन्हें टारगेट कर कंपनी का विस्तार किया। वे अपने स्पष्ट और मित्रवत स्वभाव के लिए जाने जाते थे।
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कंपनी के लिए कई बड़े फैसले लिए, लेकिन जो सबसे अहम फैसला साबित हुआ, वह था भारतीय बाज़ार में उनकी कंपनी का आगमन। सुज़ुकी मोटर कार्पोरेशन ने भारत की मारुति उद्योग प्राइवेट लिमिटेड से साझेदारी की और सबसे चहेती कार मारुति 800 को बाज़ार में उतारा। यह कार 1983 में लॉन्च हुई थी जो लंबे समय तक सबकी पसंदीदा बनी रही। इस लोकप्रियता इस हद तक बढ़ गई थी कि प्रत्येक मध्यमवर्गीय परिवार के सपनों की कार हो गई।
आज भी मारुति, जो एक सुज़ुकी मोटर्स का ही एक भाग है, के पास हमारे देश के बाजारों की 40% हिस्सेदारी है। उनके इस कदम ने न केवल कंपनी को यहां स्थापित करने में मदद की, बल्कि भारतीय ऑटोमोबाइल की दिशा ही बदल दी। इस तरह उनका योगदान न केवल भारत बल्कि अन्य कई देशों के लिए भी अहम है। यह उनकी दूरगामी सोच का ही परिणाम है जिसकी वजह से आम परिवारों के पास भी एक कार होने का सपना साकार हुआ।