इस्लामाबाद में तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के साथ मुलाकात करने के बाद अपने संबोधन के दौरान कश्मीर मुद्दे पर बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि “कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और कश्मीरी जनता की आकांक्षाओं के अनुसार, संवाद के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए”। इस बयान पर अब भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, इसे अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताते हुए ‘पूरी तरह से अस्वीकार्य’ करार दिया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से एर्दोगान के कॉमेंट पर सवाल पूछा गया। इसके जवाब में उन्होंने कहा, हम भारत के आंतरिक मामलों पर ऐसे आपत्तिजनक कॉमेंट्स को ख़ारिज करते हैं. जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, ये हमेशा से रहा है और ऐसा ही रहेगा। इस पर कोई संदेह या भ्रम नहीं होना चाहिए। किसी अन्य देश को इस पर कॉमेंट करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। उन्होंने तुर्की के नेतृत्व से आग्रह किया कि वे भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करें और पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के गंभीर खतरे सहित अन्य तथ्यों की सही समझ विकसित करें।
वैसे यह पहली बार नहीं है जब तुर्की के राष्ट्रपति ने कश्मीर मुद्दे पर टिप्पणी की है। पिछले वर्षों में, विशेष रूप से 2019 में, एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठाया था, जिसे भारत ने सख्ती से खारिज किया था। भारत ने तब भी तुर्की से अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करने और अपनी नीतियों पर गहराई से विचार करने का आग्रह किया था।
तुर्की और पाकिस्तान के बीच घनिष्ठ संबंध हैं, और दोनों देशों के नेता विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन करते रहे हैं। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत ने तुर्की से अपने बयानों में संतुलन बनाए रखने और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए सकारात्मक भूमिका निभाने का आह्वान किया है।
इस घटनाक्रम से स्पष्ट होता है कि कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विभिन्न देशों के रुख में भिन्नता है। जहां कुछ देश इसे द्विपक्षीय मामला मानते हैं, वहीं कुछ अन्य देश इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाते हैं। भारत की स्थिति स्पष्ट है कि वह अपने आंतरिक मामलों में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा।