1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी श्री ज्ञानेश कुमार को नया Chief Election Commissioner (CEC) नियुक्त किया गया हैं। वे कल यानी 19 फरवरी को राजीव कुमार की जगह लेंगे जो 18 फरवरी को ऑफिस छोड़ रहे हैं। इसके साथ ही विवेक जोशी को Election Commissioner नियुक्त किया गया हैं। डॉ. सुखबीर सिंह संधू अपने पद पर बने रहेंगे। एक नज़र ज्ञानेश कुमार के सफर पर!
लाजवाब शैक्षणिक योग्यता!
ज्ञानेश ने BTech सिविल इंजीनियरिंग प्रतिष्ठित IIT Kanpur से पूरी की हैं। उन्होंने बिजनेस फाइनेंस ICFAI और एनवायरमेंटल इकॉनमिक्स Harvard University के HIID से पढ़ा हैं।
रहे कई ऐतिहासिक मामलों का हिस्सा!
ज्ञानेश भारत में कई अहम मामलों का हिस्सा भी रहे हैं। तीन तलाक़ को खत्म करने के जुड़ी ड्राफ्ट समिति में वो अहम भूमिका निभा चुके हैं। इसके अलावा 2019 में चर्चित आर्टिकल 370 को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने वाले बिल का ड्राफ्ट तैयार करने में भी शामिल थे। अयोध्या के मशहूर श्री राम मंदिर मामले में भी गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में सुनवाई के दौरान संबंधित दस्तावेज़ों को संभालने की ज़िम्मेदारी कुमार को ही दी गई थी।
कब तक रहेंगे इस पद पर?
भारत के 26वें मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर उनका कार्यकाल जनवरी 2029 तक रहेगा। कुमार के कार्यकाल में 2025 के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव, 2026 में केरल, पुदुचेरी, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के चुनावों का ज़िम्मा भी कुमार पर ही होगा। कुल मिलाकर उनके कार्यकाल में 22 राज्यों में विधानसभा चुनाव सम्पन्न होंगे। केवल इतना ही नहीं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का ज़िम्मा भी उन्हीं के कंधों पर होगा।
नेता प्रतिपक्ष क्यों खुश नहीं?
तीन सदस्यों वाली चयन समिति जिसमें प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और नेता प्रतिपक्ष होते हैं, वो ही CEC के नाम पर फैसला करते हैं। मोदी-शाह की जोड़ी ने कुमार के नाम पर सहमति जताई लेकिन राहुल गांधी ने मौजूदा चयन के कानून की सुनवाई का हवाला देते हुए अपनी असहमति जताई। हालांकि, CEC और EC का चयन 2:1 के बहुमत से हो गया हैं।
चुनौतियां और प्रतिक्रिया!
भारतीय चुनाव आयोग और आयुक्तों की अक्सर आलोचना की जाती हैं कि वे स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं हैं। राजीव कुमार ने अपने विदाई स्पीच में भी राजनीतिक दलों को आइना दिखाते हुए कहा कि पार्टियों द्वारा चुनाव में भाग लिया जाता हैं और परिणाम आने के बाद सवाल उठाए जाते हैं। अब देखने वाली बात होगी कि ज्ञानेश कुमार इन सब चुनौतियों से कैसे निपटते हैं और कैसे चुनाव आयोग की निष्पक्षता को तय करते हैं।