मशहूर पॉडकास्टर और कंप्यूटर साइंटिस्ट Lex Fridman ने भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ एक पॉडकास्ट किया जिसमें कई अलग अलग बातों पर काफी गहन चर्चा हुई। ये निखिल कामथ के बाद प्रधानमंत्री का दूसरा पॉडकास्ट था। इस बातचीत में उन्होंने अपने जीवन, राजनीति और वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। आइए कुछ अहम बातों पर उनके विचार जानते हैं।
भारत की संस्कृति
भारत के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ये एक ऐसी सभ्यता हैं को हज़ारों साल पुरानी हैं। भारत की विशालता को उजागर करते हुए उन्होंने बताया को भारत में 100 से भी ज़्यादा भाषाएं और हज़ारों बोलियां हैं। यह कहा जाता हैं कि हर 20 मील पर रीति रिवाज, भोजन और पहनावा बदल जाता हैं। लेकिन इतनी विविधता होने के बावजूद एक समान धागा हैं जो पूरे देश को जोड़ता हैं। मोदी ने श्री राम की कथाओं का भी ज़िक्र किया जो पूरे भारत में गूंजती हैं। मोदी ने भारत की नदियों के नामों का स्मरण करने की परंपरा का भी ज़िक्र किया, जब लोग स्नान करते समय गंगा, यमुन, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और कावेरी जैसी नदियों के नामों का उच्चारण करते हैं। उन्होंने कहा कि यह एकता की भावना भारतीय परंपराओं में गहरे रूप से समाई हुई है, जो महत्वपूर्ण घटनाओं और अनुष्ठानों के दौरान लिए गए संकल्पों में भी दिखाई देती हैं।
संघ का उनके जीवन पर प्रभाव
मोदी ने अपने शुरुआती जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रभाव के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि संघ ने उन्हें जीवन में एक उद्देश्य के साथ काम करने की सीख दी। चाहे पढ़ाई हो या व्यायाम, करें तो ऐसा की देश के काम आ सके। उन्होंने यह भी बताया कि संघ अपनी स्थापना के 100वें साल के करीब हैं और एक विशाल संगठन हैं, जिसके भारत सहित पूरे विश्व में अनगिनत सदस्य हैं। उन्होंने संघ के अनगिनत पहलुओं के बारे में जानकारी देते हुए सेवा भारती के बारे में बताया, जो बिना सरकारी मदद के झुग्गियों और बस्तियों में 1,25,000 से ज्यादा service projects चला रहा है। इसके अलावा उन्होंने वनवासी कल्याण आश्रम का भी ज़िक्र किया, जिसने आदिवासी क्षेत्रों में 70,000 से ज्यादा एकल विद्यालय खोले हैं और विद्या भारती के बारे में भी बताया, जो लगभग 25,000 स्कूलों के ज़रिए करीब 30 लाख छात्रों को शिक्षा दे रहा हैं।
रुस यूक्रेन युद्ध पर चर्चा
रुस यूक्रेन युद्ध पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो बुद्ध और गांधी की भूमि का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनकी शिक्षा और काम पूरी तरह से शांति के लिए ही समर्पित थी। उन्होंने कहा कि भारत की मज़बूत सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के कारण जब वो शांति की बात करता हैं, तो पूरी दुनिया सुनती हैं। उन्होंने खाद्य, ईंधन और उर्वरक से जुड़ी समस्याओं पर भी बात की और दुनिया से शांति की ओर एकजुट होकर काम करने की अपील की।
युवाओं को सीख
मोदी ने युवाओं को धीरज और आत्मविश्वास बनाए रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जीवन में चुनौतियां ज़रूर आती हैं मगर वे हमारे उद्देश्य को नहीं बदल सकती। कठिनाइयां हमें मज़बूत बनाने के लिए ही होती हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ज़िंदगी में कोई shortcut नहीं होता। सफलता पाने के लिए धीरज और मेहनत ज़रूरी होते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अपने काम में दिल लगाना और जुनून के साथ जीवन जीना चाहिए। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि बहुत से लोग बड़ा लक्ष्य तय करते हैं लेकिन पूरा न हो पाने पर निराश हो जाते हैं। उन्होंने यह सलाह दी कि हमें कुछ बनने की बजाय कुछ करने पर ध्यान देना चाहिए। हमें असली संतोष तभी मिलता हैं, जब हम दूसरों के लिए कुछ करते हैं।
इस अलावा मोदी ने अपने शुरुआती जीवन, 2002 गुजरात, महात्मा गांधी, चीन जैसे मुद्दों पर भी गहन चर्चा की। इस पॉडकास्ट ने प्रधानमंत्री के जीवन और विचारों को समझने का एक अनूठा मौका दिया। उनकी बातें प्रेरणा देने वाली तो थी, साथ ही उन्होंने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी उजागर किया।