सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाई है। कोर्ट ने आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ विज्ञापन में भ्रामक दावे करने को लेकर, पतंजलि को चेतावनी दी है। और कहा है कि ऐसे सभी झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत रोक दे। कोर्ट किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। जिस पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की है।
हर प्रोडक्ट पर एक करोड़ का जुर्माना
सुनवाई के दौरान पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद से कहा कि वह चिकित्सा की आधुनिक पद्धतियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित न करें और अगर किसी विशेष बीमारी को ठीक करने का गलत दावा किया जाता है, तो पीठ हर प्रोडक्ट पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने पर भी विचार कर सकती है।
शीर्ष अदालत ने केंद्र की ओर से पेश वकील से भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों के मुद्दे का समाधान तलाशने को कहा, जहां कुछ बीमारियों का सटीक इलाज करने वाली दवाओं के बारे में दावे किए जा रहे हैं। पीठ अब आईएमए की याचिका पर अगले साल 5 फरवरी को सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए एलोपैथी और एलोपैथिक चिकित्सकों की आलोचना करने के लिए रामदेव की कड़ी आलोचना की थी और कहा था कि उन्हें डॉक्टरों और उपचार की अन्य प्रणालियों को बदनाम करने से रोका जाना चाहिए।
जारी हुआ था नोटिस
शीर्ष अदालत ने टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ रामदेव पर अभियान का आरोप लगाने वाली IMA की याचिका पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय तथा पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को नोटिस जारी किया था। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद से कहा कि वह चिकित्सा की आधुनिक पद्धतियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित न करें।