इंदौर। मध्यप्रदेश का इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर हैं। इंदौर स्वच्छ भारत सर्वेक्षण में लगातार 7 वीं बार फिर अपना परचम लहरा दिया हैं। इस बार इंदौर सहित सूरत भी सबसे स्वच्छ शहर बना हैं। 11 जनवरी को दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इंदौर और सूरत को सम्मानित करी हैं। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इंदौर नगर निगम पहुंच गया है।
नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने 6 दिसंबर शाम मीडिया से बातचीत में उक्त जानकारी दे दी थी। उन्होंने कहा था कि, “मध्य प्रदेश स्वच्छता में नंबर वन है। मैं तो मानकर चलता हूं कि कोई भी अच्छी चीज में प्रतियोगिता होनी चाहिए। सूरत ने अच्छी मेहनत की थी, लेकिन इंदौर ने महापौर के नेतृत्व में बाजी मारी है। उन्होंने बताया कि छोटी नगर पालिकाओं में महू ने बाजी मारी है। यह अच्छी बात है कि खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है। इंदौर के पड़ोसी महू ने इंदौर से सीख लेकर यह पुरस्कार अर्जित किया है। महू के लोगों को बधाई।”
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा था कि, “इंदौर स्वच्छता का सातवां आसमान छुएगा, ऐसा मुझे विश्वास है। इसके पीछे की ताकत हमारा इंदौरीपन है। मैं कैलाश विजयवर्गीय का धन्यवाद करता हूं कि उनके नेतृत्व में ये पुरस्कार हमें मिल रहा है। हालांकि यह तय नहीं है कि इंदौर कौन से स्थान पर है, लेकिन माना जा रहा है कि सातवीं बार भी इंदौर सफाई में पहले स्थान पर आ सकता है। दिल्ली की टीम ने पिछले दिनों इंदौर में सफाई से जुड़े कामों की वीडियो शूट की थी। इंदौर छह साल से लगातार पूरे देश में सबसे साफ शहर का रिकार्ड बना चुका है। इस बार इंदौर का मुकाबला कई शहरों से है।”
स्वच्छता को लेकर देशभर के शहरों के बीच हुई इस प्रतियोगिता के लिए करीब चार महीने पहले इंदौर में सर्वेक्षण हुआ था। सर्वेक्षण दल ने करीब 15 दिन इंदौर में रहकर अलग-अलग क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था का जायजा लिया था। दल के सदस्यों ने रहवासियों से चर्चा कर भी शहर की सफाई व्यवस्था के बारे में जानकारी ली थी। इंदौर को सफाई व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ इस क्षेत्र में उसके द्वारा किए गए नवाचारों का फायदा भी इस सर्वेक्षण में मिला है।
इंदौर नगर निगम ने सर्वे वर्ष में नो थू-थू अभियान, सिंगल प्लास्टिक फेयरवेल पार्टी, इंटर्नशिप वीथ मेयर जैसे कई नवाचार किए। महापौर पुष्यमित्र भार्गव और निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने दिल्ली से बुलावा आने की पुष्टि करते हुए बताया कि हमें अपनी सफाई व्यवस्था पर पूरा विश्वास था। हालांकि अब तक सर्वेक्षण रैंकिंग की अधिकृत घोषणा नहीं की गई है।
इस सर्वेक्षण में अलग-अलग कार्य के लिए अलग-अलग अंक निर्धारित थे। इंदौर ने निर्धारित सभी मापदंडों पर खुद को साबित किया है। दस्तावेजीकरण के लिए इस सर्वेक्षण में सबसे अधिक 2500 अंक रखे गए थे। संभवत: इंदौर को ये पूरे अंक मिले हैं। इंदौर को पहले से सेवन स्टार सर्टिफिकेट होने और वाटर प्लस सिटी होने का फायदा भी मिला है।
इंदौर में अब सफाई पहले जैसी नहीं रही। शहरवासी यह स्वीकार रहे है। डोर टू डोर कचरा कलेक्शन तो शहर में प्रभावी रुप से हो रहा है, लेकिन बेकलेन और नालों में फिर कचरा नजर आने लगा है। धूल भी शहर में ज्यादा नजर आने लगी है। लोगों में भी सफाई को लेकर जागरूकता की कमी आई है। नालों की सफाई भी इस बार ठीक तरह से नहीं हो पाई,जबकि पिछले साल शहर के कई छोटे नालों में गंदा पानी रोक कर नालों को सूखा दिया गया था।
पिछली स्वच्छता रैंकिंग में सूरत शहर दूसरे स्थान पर था। सूरत ने सफाई के मामले में काफी सुधार किया है। इंदौर को सूरत से कड़ी टक्कर मिल रही है। इस बार सफाई के लिए 9 हजार अंक रखे गए है, जो शहर ज्यादा से ज्यादा अंक लाएगा। उसे पहेला स्थान मिलेगा। इंदौर को पिछले साथ स्वच्छता रैकिंग के अलावा स्मार्ट सिटी में भी पहला पुरस्कार मिला था। इसके अलावा वायु प्रदूषण कम करने में भी इंदौर आगे रहा हैं।
इन कामों के कारण बढ़े इंदौर के नंबर
- इंदौर ने वर्ष 2023 में सौदर्यीकरण पर जोर दिया। बैकलेन को सुंदर बनाया। वहां पोहा पार्टियां की गई।
- जीरो वेस्ट वार्ड बनाए गए। थ्री आर यानि रिड्यूज, रिसायकल और रियूज को अपनाकर नए गार्डन, चौराहे और कलाकृतियां बनाई गई।
- कई शहरों में कचरा अलग-अलग संग्रहित नहीं हो पा रहा है। इंदौर मेें अलग-अलग छह तरीकों से कचरा संग्रहित होकर सीधे ट्रेंचिंग ग्राउंड तक पहुंच रहा है। इस कारण कचरे का निपटान आसानी से हो रहा है।
- शहर की आबोहवा को साफ करने पर जोर दिया गया। दूसरे शहरों की अपेक्षा इंदौर में कम प्रदूषण रहा।