मलेशिया में पुलिस ने बीते बुधवार रात 20 इस्लामिक वेलफेयर होम्स पर छापेमारी कर 402 बच्चों को आजाद कराया है। इनमें 1 से 17 साल की उम्र के 201 लड़के और 201 लड़कियां शामिल हैं। पुलिस का आरोप है कि, इन होम्स में बच्चों का यौन शोषण हो रहा था और उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में रखा गया था। यह वेलफेयर होम्स ग्लोबल इखवान सर्विसेज एंड बिजनेस होल्डिंग्स (GISB) नामक इस्लामिक बिजनेस ग्रुप से जुड़े थे। पुलिस ने इस मामले में 171 संदिग्धों को गिरफ़्तार कर लिया है, जिनमें 105 महिलाएं शामिल हैं। हालांकि पुलिस बच्चों के विरुद्ध यौन अपराध और मानव तस्करी के कानूनों के तहत मामले की जाँच कर रही है।
2 सितंबर 2024 को शिकायत मिलने की बाद की छापेमारी
वेलफेयर होम्स में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं की शिकायत मिलने की बाद छापेमारी की गई है। पोर्ट डिक्सन में चल रहे चैरिटी होम्स को लेकर यह शिकायत 2 सितंबर 2024 को मिली थी। इसके बाद 11 सितंबर को दो अलग-अलग राज्यों में चल रहे 20 इस्लामी चैरिटी होम्स पर छापेमारी कर 402 बच्चों को मुक्त कराया गया था। यहां रहने वाले बच्चों के साथ पहले बलात्कार किया जाता था। फिर उन्हें दूसरों बच्चों से बलात्कार करना सिखाया जाता था। इतना ही नहीं बल्कि विरोध करने पर 5 साल की उम्र तक के बच्चों को गर्म चीजों से दाग दिया जाता था। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि, वेलफेयर होम्स में रहने वाले अधिकांश बच्चे ग्रुप के कर्मचारियों के थे। यह ग्रुप किराना, बेकरी, रेस्तरां, पोल्ट्री फार्म और ट्रैवल जैसे कई व्यवसायों से जुड़ा है और इसकी शाखाएं 20 देशों तक फैली हुई है।
धार्मिक नेता अशारी मोहम्मद ने ग्लोबल इखवान की स्थापना की
बता दे कि, ग्लोबल इखवान की स्थापना अशारी मोहम्मद ने की थी। अशारी मोहम्मद मलेशिया का एक धार्मिक नेता था। उसने दावा किया था कि, अल्लाह ने उसे कई चमत्कारिक शक्तियों से नवाजा है। इसके बाद उसने 1968 में अल-अरकम नाम से एक धार्मिक संप्रदाय शुरू किया। अशारी बहुविवाह का समर्थक था। उसने खुद 5 शादियां की थीं। अल-अरकम पर सरकार ने 1994 में बैन कर दिया था। इसके बाद अशारी को विर्धमी बताकर गिरफ्तार कर लिया गया था। जिसके बाद 2010 में जेल में ही उसकी मौत हो गई थी।
अल-अरकम धार्मिक संप्रदाय से जुड़ी है कंपनी
GISB मलेशिया स्थित अल-अरकम धार्मिक संप्रदाय से जुड़ी है। जिस पर सरकार ने 1994 में बैन लगा दिया था। यह खुद को मुस्लिम प्रथाओं पर आधारित एक इस्लामी समूह बताता है। फर्म पहले भी विवादों में रह चुकी है। इससे पहले मुसलमानों में बहुविवाह के लिए प्रोत्साहित करने पर काफी बवाल हो चुका है। इसके साथ ही फर्म ने महिलाओं से ‘वेश्याओं की तरह’ अपने पतियों के साथ रहने का आह्वान किया था। हालांकि गलोबल इखवान ने अपने बचाव में बीते बुधवार को कहा कि वेलफेयर होम्स से उनका कोई संबंध नहीं है। वे बच्चों के शोषण में किसी भी तरह से शामिल नहीं हैं। ग्रुप ने कहा कि वे इस्लामिक कानून से हटकर कोई भी काम नहीं करते हैं।