मध्यप्रदेश की नई मुख्य सचिव वीरा राणा को उनकी सख्ती के लिए जाना जाता है। वो बेहद नियम पसंद अफसर हैं। 26 मार्च 1964 को उत्तर प्रदेश में जन्म हुआ था। राणा 1988 बैच की आईएएस अधिकारी हैं, इन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स और एमबीए किया है। राणा और गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल का विवाद भी मशहूर है। पटेल को जब मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था, तब आनंदीबेन ने मुख्यमंत्री से एक महिला अधिकारी देने का अनुरोध किया था। राज्यपाल विशेष रूप से एक महिला आईएएस अधिकारी को अपना प्रमुख सचिव बनाना चाहती थीं, इसके बाद वीरा राणा की नियुक्ति हुई। हालांकि, महिला अधिकारी भी राज्यपाल की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं और उन्हें राजभवन में काम करने में समस्याएं हुई थीं। बमुश्किल एक पखवाड़े तक काम करने के बाद वीरा राणा कथित तौर पर राज्यपाल से मतभेदों के चलते छुट्टी पर चली गई थीं। वीरा राणा ने 11 जुलाई 2018 को ज्वाइन किया था और कुछ दिन काम करने के बाद छुट्टी पर चली गई थीं। राणा चाइल्ड केयर लीव पर चली गई थीं। राजभवन के सूत्रों ने बताया था कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अपने पिछले प्रमुख सचिव की तरह राणा से भी अनबन चल रही थी। भोपाल राजभवन में सौ दिन पूरे होने पर पटेल द्वारा कॉफी टेबल बुक प्रकाशित करने को लेकर उनके सचिव से मतभेद हो गए थे। कॉफी टेबल बुक का प्रकाशन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के आदेश पर किया गया था। उनके पूर्व प्रिंसिपल सचिव को इस संबंध में कुछ आपत्तियां थीं। कॉफी टेबल बुक प्रकाशित होने के बाद इस पर विवाद हो गया था, क्योंकि राजनीतिक और नौकरशाही क्षेत्र में कई लोगों को राज्यपाल द्वारा अपने कार्यकाल के पहले तीन महीनों में अपनी उपलब्धियों का प्रदर्शन करने का तरीका पसंद नहीं आया था।
निर्मला बुच रहीं मध्यप्रदेश की पहली महिला मुख्य
निर्मला बुच रहीं मध्यप्रदेश की पहली महिला मुख्य सचिव वीरा राणा से पहले दिवंगत 1960 बैच की आईएएस निर्मला बुच मध्यप्रदेश की पहली महिला मुख्य सचिव रह चुकी हैं। निर्मला बुच मध्यप्रदेश कैडर की 1960 बैच की आईएएस थीं। उन्होंने इसी साल जुलाई 2023 में अंतिम सांस ली। लंबी बीमारी के बाद 97 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। उनका विवाह आईएएस महेश नीलकंठ के साथ हुआ था। निर्मला बुच मध्यप्रदेश की पहली और एकमात्र महिला मुख्य सचिव रही हैं। निर्मला बुच अपने अध्ययनशील और काम के लिए गंभीर स्वभाव के लिए जानी जाती रहीं। यही वजह है कि उनको केंद्र और प्रदेश में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहने का अवसर मिला। वह हमेशा पढ़ती रहती थीं। उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान भी था। 1961 से 1993 तक वह भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में पदस्थ रहीं। महिलाओं के हित में उन्होंने कई कार्य किए।
पड़ोसी जिले के कलेक्टर से हुआ था प्यार
उनके वैवाहिक जीवन की शुरुआत भी काफी दिलचस्प है। निर्मला बुच जब देवास में कलेक्टर थीं। उस समय उनके पड़ोसी जिले उज्जैन के कलेक्टर एम.एन. बुच थे। निर्मला बुच उनके व्यक्तित्व से इतनी प्रभावित हुईं कि दोनों ने एक साथ आने का निर्णय कर लिया और परिणय सूत्र में बंध गए। उनका एक पुत्र है। निर्मला बुच के पति एम.एन. बुच का निधन 8 साल पहले 6 जून 2015 को हो गया था। एम.एन. बुच भी काफी तेजतर्रार आईएएस अधिकारी थे। उनके कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने 2011 में उन्हें पदम्मभूषण से सम्मानित किया था। आयरन लेडी का मिला नाम उनकी कार्यकुशलता का लोहा सभी दल और सरकारें मानती थीं। यही वजह है कि उन्हें मध्यप्रदेश की आयरन लेडी भी कहा जाने लगा था। समाजसेवा के कामों में उनकी ललक अलग ही थी। सेवानिवृत्त होने के बाद में उन्होंने कई समाजसेवी संगठनों के साथ मिलकर काम किया। मध्यप्रदेश के कल्याण के लिए खुद ही स्वयंसेवी संगठन का निर्माण किया।