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Reading: भारतीय साहित्य के लिए गर्व का पल, बानू मुश्ताक International Booker Prize से हुई सम्मानित
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World

भारतीय साहित्य के लिए गर्व का पल, बानू मुश्ताक International Booker Prize से हुई सम्मानित

इसे जीतने वाली वो पहली कन्नड़ लेखिका हैं

Last updated: मई 21, 2025 2:53 अपराह्न
By Mihir Dhekane 3 सप्ताह पहले
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3 Min Read
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भारतीय साहित्य और खास तौर पर कन्नड़ साहित्य के लिए International stage पर एक गर्व का मौका आया, जब लेखिका बानू मुश्ताक को कन्नड़ भाषा में लिखे short stories collection “Heart Lamp” के लिए International Booker Prize से सम्मानित किया गया। ये साहित्य के क्षेत्र के दुनिया के सबसे बड़े पुरस्कारों में एक माना जाता हैं। इसे जीतने वाली वो पहली कन्नड़ लेखिका हैं। ये शायद पहला ही मौका होगा जब किसी short story collection को इतना बड़ा पुरस्कार मिला हो।

International Booker Prize: विश्व स्तर पर एक बड़ा सम्मान

जो नहीं जानते उनके लिए बता दें कि International Booker Prize विश्व के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक माना जाता हैं। इसे जीतना मतलब उस किताब को पूरी दुनिया में पहचान मिली हैं। ये पुरस्कार उन किताबों को दिया जाता हैं जिन्हें English में लिखा गया हो अथवा जिनका English में अच्छा अनुवाद किया गया हो।

Heart Lamp: मुस्लिम महिलाओं की ज़िन्दगी की कहानियाँ

“Heart Lamp” 12 लघु कथाओं का collection हैं, जो दक्षिणी भारत की मुस्लिम महिलाओं के रोजमर्रा के जीवन को बताती हैं। इन कहानियों में social injustice, patriarchy, religious exploitation जैसे विषयों को उजागर किया हैं। मूलतः ये किताब कन्नड़ में लिखी गई हैं, लेकिन इसका English में अनुवाद भी किया गया हैं। English में अनुवाद करने वाली दीपा भस्ती को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

बानू मुश्ताक का जीवन

बानू मुश्ताक का जन्म 1948 में कर्नाटक में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उन्हें इस शर्त पर एक missionary school में भर्ती कराया गया को वे केवल 6 महीने में कन्नड़ भाषा पढ़ना और लिखना सीख लेंगी। उन्होंने उम्मीद से बेहतर करके दिखाया और कन्नड़ भाषा में लिखना शुरू कर दिया। उन्होंने University तक की शिक्षा पाई और 26 साल की उम्र में प्रेम विवाह भी किया, जो उस वक्त के हिसाब से एक साहसिक कदम था।

भारतीय भाषाओं को नई पहचान

ये पुरस्कार जीतकर बानू मुश्ताक ने न सिर्फ कन्नड़ भाषा को बल्कि सभी भारतीय भाषाओं को एक अलग ही पहचान दिलाई हैं। वे दूसरी भारतीय महिला हैं जिन्होंने ये पुरस्कार जीता हैं। उनसे पहले गीतांजलि श्री को उनकी हिन्दी रचना “Tomb of Sand” के लिए ये पुरस्कार मिल चुका हैं, जिसका English में अनुवाद Daisy Rockwell ने किया था। इन दोनों के अलावा अरुंधति रॉय को “The God of Small Things” के लिए “Booker Prize for Fiction” से नवाज़ा गया हैं।

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